संदेश
दीप तले अंधेरा ना रहें - कविता - विकाश बैनीवाल
दीप तले अंधेरा ना रहे, सामूहिक सकल दीप जलाओ, यति हररुह त्याग, स्तुति संग माँ लक्ष्मी को नैवेद्य चढ़ाओ। तामसिक प्रवृति ना रहे, प्रत्येक…
दीप मालिका अभिनंदन है - कविता - शिवचरण चौहान
दीप मालिके अभिनंदन है। अभिनंदन, शत शत वंदन है।। ज्योति सदा मंगलकारी हो। तन निरोग हो, बलकारी हो।। जीवन मधुमय सुखकारी हो। धन वैभव पर हित…
फिर मनाएंगे दीवाली - कविता - अतुल पाठक "धैर्य"
पापा जल्दी ठीक हो जाओ, फिर मनाएंगे दीवाली। घर को जल्दी तुम लौट आओ, फिर मनाएंगे दीवाली। तुम बिन घर सारा सूना है, जैसे हो सब वीराना है। …
जगमग दीप जले - कविता - रमाकांत सोनी
दीपों की सजी है कतार जगमग दीप जले। लक्ष्मी जी आई घर द्वार जन जन फुले फुले धन-धान्य सुख देने वाली दुख दारिद्र को हारने वाली दे वैभव भ…
जलता जाए दीप हमारा - कविता - अनिल मिश्र प्रहरी
मिट्टी के दीपों में भरकर तेल - तरल और बाती, तिमिर-तोम को दूर भगाने को लौ हो लहराती। मिट जाए भू का अँधियारा ज…
कैसे मनेगी आज यह दिवाली? - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"
साल भर के अंतराल से फिर आ गई , कोरोना का कहर ले अमा की रात काली । कई घरों के चिराग बूझ गए इस दौर में , बोलो फिर कैसे मनेगी आज यह दिवाल…
पटाखा और पाबंदी - हास्य व्यंग्य लेख - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
पटाखों पर पाबंदी लगना गले की हड्डी वाली बात हो गई है, एक तरफ तो छूट वाला विज्ञापन माइण्डवा में सीकू के आवाज की भांति घूम रहा है। हम और…
कोरोना मुक्त दिवाली - कविता - अन्जनी अग्रवाल "ओजस्वी"
स्वर्णिम आभा दीपों की, फुलझड़ियों की झनकार। लो आ गया ज्योतिअन्तस्तल में, दीपावली का त्यौहार। जो रहा अंधकार धरा में, तो त्यौहार अधू…
धनतेरस बधाईयाँ - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
कवि निकुंज शुभकामना, धनतेरस त्यौहार। तन मन गृह सुख सम्पदा, हो मंगल परिवार।।१।। आलोकित सद्भाव से,अमन शान्ति नित गेह। मन विकार मानस म…
धनतेरस - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
आइए! धनकुबेर के नाम एक दीप जलाते है, कुबेर जी से आशीष पाते हैं। धनतेरस से ही दीवाली पर्व की शुरुआत होती है। आज हम धन कुबेर जी को मनाते…
मैं बाती हूँ - कविता - गणपत लाल उदय
मैं एक बाती हूँ हर रोज में जलती हूँ। जलकर अंधेरा मिटाती हूँ प्रकाश सभी तक पहुँचाती हूँ।। मुझें कोई याद नहीं करता क्यों कि मैं दी…
अबकी दीवाली से पहले - कविता - सन्तोष ताकर "खाखी"
फुर्सत के दो पलो में, वो खुशियों कि मुलाक़ात याद आ गई इस दीवाली से पहले, मेरी हर रौनक तुझसे थी इस बेदर्द बिछड़न से पहले। मुझे याद है व…
बाबा साहेब को भूल रहे तुम - कविता - अरविन्द कालमा
भारतीय संविधान हमने बेसिक पढ़ा है जिसे डॉ.भीमराव अम्बेडकर ने गढ़ा है उन्होंने दिए समानता और प्रेम के सन्देश पथ पर उनके चल बहुजन आगे बढ़ा …
कुछ करना चाहूँ - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"
बालिका शिक्षा को समर्पित रचना मैं अपनी उम्मीदों को पँख लगाकर , बहुत ऊँची उड़ान भरना चाहूँ । इस अनमोल नारी (बालिका) जीवन में , मैं पढ़…
ख़ामोशी एक सदा - कविता - कर्मवीर सिरोवा
खुशियाँ मोबाईल हो चली, पीपल तले खामोशियाँ मिली। बेमतलब की बातें इतनी हुई, नफ़रतों को इससे हवा मिली। राजनीति ने अब हुँकार भरी, दिलों में…
समझदार मुहब्बत - कविता - भागचन्द मीणा
मैं निहारता रहूँ तुम्हें और सुबह से शाम हो जाए, चर्चे मुहब्बत के अपने शहर भर में आम हो जाए। हम खोऐ रहें अपनी प्यार भरी बातों में इस…
नारी सम्मान - कविता - गणपत लाल उदय
नारी तुम हो बहुत महान सभी करते तेरा गुणगान। तुम ही हो करूणा का रूप सहनशील, अन्नपूर्णा स्वरुप।। तुमसे ही मानव जग आया धरती पर शान-शोकत …
सत्यमेव जयते - कविता - विकाश बैनीवाल
सत्य सुन्दर है, सौम्य सुदर्शन है सत्य खुद्दार, सत्य की जीत है, सरसता, कोमलता सत्य वाणी में सौहार्द, सत्य के प्रेम की प्रीत है। सत्…
संघर्ष सफलता की कुंजी है - आलेख - मधुस्मिता सेनापति
संघर्ष एक ऐसा अनुभव है, जो जीवन में आने वाली हर एक पड़ाव को पार करने के लिए एक मूल्यवान अस्त्र के तरह हमारे सामने आ खड़ी होती है। बिना…
माँ बनकर - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
कौन कहता है कि मैं लाचार हूँ, देखो न मेरा बेटा मेरा आधार है, मुझे गर्व है कि मैंनें ऐसा लाल जना है, ऐसे बेटे पर किस माँ को गर्व नहीं …
कलम की मिसाल - कविता - आशाराम मीणा
कलमकार हूँ कलम की मिसाल लिखता हूँ। नापाक दिलो को पाक करे वो नजीर लिखता हूँ।। जो टूट चुके उन पैमानों का नाप लिखता हूँ। इंसानियत को राह …
दिवाली - गीत - डॉ. अवधेश कुमार अवध
कोई तो हमको समझाये, होती कैसी दिवाली। तेल नदारद दीया गायब, फटी जेब हरदम खाली। हँसी नहीं बच्चों के मुख पर, चले सदा माँ की खाँसी। बापू…
तेरे मेरे दरमियान - कविता - वरुण "विमला"
कुछ बचाने, छुपाने के बीच रह जातीं हैं पैरों की छाप साँसों की गर्मी धड़कन की उथल-पुथल दिमाग़ की तेजी औ उसका सन्नाटा। जिस पर आप ओढ़ा देते …
डर जाता हूँ - ग़ज़ल - मोहम्मद मुमताज़ हसन
डर जाता हूँ अक्सर- अपनी ही परछाई से बिछोह, दर्द और स्याह- रातों की तन्हाई से हुक सी उठती है दिल में महबूबा की बेवफाई से या रब मौत …
महल शान्ति का हो चमन - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
तरुणाई आशा महल, आज विश्व आधार। नव ऊर्जा निर्माण का, नव विकास उपहार।।१।। नया जोश कर्तव्य रत, स्वप्न महल अरमान। युवाशक्ति निर्मातृ जग, र…
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