सत्यमेव जयते - कविता - विकाश बैनीवाल

सत्य सुन्दर है, सौम्य सुदर्शन है 
सत्य खुद्दार, सत्य की जीत है, 
सरसता, कोमलता सत्य वाणी में 
सौहार्द, सत्य के प्रेम की प्रीत है। 

सत्य ईमान है, इज्जतदार है 
हर इक प्राणी का श्रृंगार है। 
सत्य में लाज़ है, लिहाज़ है 
ज़िंदगी जीने का आधार है। 

सत्य में संस्कारों की संहिता 
भारतीय समाज की संस्कृति है, 
चाँद-सूरज, नभ-धरा सत्य 
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड, सत्य प्रकृति है। 

सत्य अहिंसा, पुण्य कर्म है 
अखंड-अमिट, सत्य अटल है, 
राजा हरिश्चन्द्र जी है सत्य 
युगांतर है सत्य, आज-कल है। 

सत्य पथ पर चलना सदैव 
सत्य हमारे पूर्वजों की रीत है,
वक़्त लगता है सत्यता को 
हाँ धर्म और सत्य की जीत है।

विकाश बैनीवाल - भादरा, हनुमानगढ़ (राजस्थान)

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