डर जाता हूँ - ग़ज़ल - मोहम्मद मुमताज़ हसन

डर जाता हूँ अक्सर- 
अपनी ही परछाई से

बिछोह, दर्द और स्याह-
रातों  की  तन्हाई  से

हुक सी उठती है दिल में
महबूबा की बेवफाई से

या रब मौत  बेहतर है
मुहब्बत की जुदाई से

मोहम्मद मुमताज़ हसन - रिकाबगंज, टिकारी, गया (बिहार)

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