संदेश
विपदा गढ़ी हुई है - कविता - कोमल 'श्रावणी'
ज़रा आज मैं इठलाती हूँ तुम्हें शौक़ से बतलाती हूँ। रणक्षेत्र की भूमि सजी हुई है, आग ज्वाला रण खड़ी हुई है। झूठे गान गूँज रहे, देखो तो व…
रच दे पौरुष राष्ट्र हित - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
रचना कविता काकिली, करे वक्त का गान। दशा दिशा सुख दुख यथा, करती कर्म बखान॥ नवप्रभात नव प्रगति पथ, रचो कीर्ति अभिराम। क्या पाया क्या …
कौन जीता है, कौन मरता है - कविता - बिंदेश कुमार झा
अनंत नभ के नीचे, अपनी गति से चलता है, निरंतर असफल प्रयास से जो नहीं ठहरता है। जो अश्रु नहीं, लहु पीता है, वही जीता है। जो नभ को कण समझ…
अथक परिश्रम - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
माता-पिता की आज्ञा और उनका अनुसरण पुत्र का अन्तिम धर्म, दुःख, संघर्ष, अकिंचन जीवन दीवार बन खड़े हो जाते हैं किन्तु धैर्य से तोड़ो दीवा…
निशा - कविता - मयंक द्विवेदी
चाँद की चंचल किरणों में ये रैन कुछ नया बुन रही समझो मन्द-मन्द ही सही पर ये रात आगे बढ़ रही। रैन में सब थमा पर धड़कने तो चल रही कुछ आस …
अग्निपथ - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
प्रस्तावना "अग्निपथ" एक महाकाव्यात्मक काव्य संग्रह है जो जीवन के संघर्ष और विजय की गहन यात्रा को अभिव्यक्त करता है। यह रचना …
नवभारत - कविता - नंदनी खरे 'प्रियतमा'
युवक तुम्हें जागना होगा पंख शिथिल मत करो यहीं देश हित में भागना होगा युवक तुम्हें जागना होगा बैरी होने से क्या होगा धर्म, जाति से क्या…
सपने - कविता - रूशदा नाज़
बचपन में परिवर्तित होते थे हमारे सपने कभी डॉक्टर, वैज्ञानिक, शिक्षक, इंजीनियर सब कुछ चाहते थे मानों छू लेना चाहते थे आकाश उम्र के …
तू चल तू आगे बढ़ - कविता - निधि चंद्रा
तू चल तू आगे बढ़ इन हालातों का सामना कर चल तू अपना भविष्य गढ़ कोई बात तुझे तोड़ नहीं सकती और तेरा परिश्रम अगर सच्चा है तो कठिन से कठिन…
मुसाफ़िर - कविता - निखिल शर्मा
जो टूटें अरमाँ तो टूटने देना। जो ख़्वाब बिखरें तो बिखरने देना। कुछ तो सबक़ मिलेगा कुछ तो हौसला ज़ाहिर होगा। दिन कट गया रात तो होगी और रा…
डर हमें भी लगता सन्नाटों से - कविता - सीमा शर्मा 'तमन्ना'
डर तो हमें भी बहुत लगता था, रास्तों के उन सन्नाटों से। मगर यह तय था कि हर हाल, हमें सफ़र पर जाना ही होगा। याद होगा उसे भी गुज़रे थे, जो…
सुना है सपने सच होते हैं - कविता - श्याम नन्दन पाण्डेय
मन की तरंगे बढ़ने दो मन पतंग सा उड़ने दो पंख तेरे अब खुलने दो भ्रम की दीवारें गिरने दो नैनो में सपने पलने दो सिंचित-पोषित बीज अंकुरित हो…
हौसलों की उड़ान - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
दर्द की आग में तपकर बनें हैं हम, हर मुश्किल से लड़कर बनें हैं हम। हौसले की उड़ान है अभी बाक़ी, मंज़िलें हासिल कर दिखाएँगे हम। हैं ख़ारों…
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