संदेश
सुना है सपने सच होते हैं - कविता - श्याम नन्दन पाण्डेय
मन की तरंगे बढ़ने दो मन पतंग सा उड़ने दो पंख तेरे अब खुलने दो भ्रम की दीवारें गिरने दो नैनो में सपने पलने दो सिंचित-पोषित बीज अंकुरित हो…
हौसलों की उड़ान - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
दर्द की आग में तपकर बनें हैं हम, हर मुश्किल से लड़कर बनें हैं हम। हौसले की उड़ान है अभी बाक़ी, मंज़िलें हासिल कर दिखाएँगे हम। हैं ख़ारों…
मेरी हार ही मेरी असली ताक़त है - कविता - तेज नारायण राय
मेरी हार जब मेरे गाल पर तमाचा बनकर लगती है तब बेशक तिलमिला उठता हूँ मैं लेकिन धैर्य नहीं खोता कभी गिर जाता हूँ सोच की गहरी खाई में …
खोजने चला वजूद अपनी - कविता - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
यायावर उड़न चला हूँ मैं, खोजने चला वजूद अपनी, अनादि अनन्त व्योम क्षितिज में, अकेला निरापद निर्विकार, कुछ शेष अन्तर्मन जिजीविषा, सम…
चिर जलो जगत में लघु दीप - कविता - राघवेंद्र सिंह
चिर जलो जगत में लघु दीप, ले नवल रुधिर का द्रुत प्रवाह। जग उठे विश्व का तृण-तृण यह, दो शून्य श्वास को नवल राह। तन में शैशव का रुदन काल,…
कर्म-पथ पे चलना है तुझे - कविता - सागर 'नवोदित'
पथ नहीं अंजान वो, जिस पर चलना है तुझे, भरकर एक विश्वास नया, हर पल बढ़ना है तुझे। बना तलवार कलम को, पहन कवच ज्ञान का, फैला जो अंधकार यह…
संकटों के साधकों - कविता - मयंक द्विवेदी
हे संकटों के साधकों अब इन कंटकों को चाह लो समय दे रहा चुनौती जब कुंद को नयी धार दो वार पर अब वार हो और प्रयत्नों की बौछार हो गा रही ह…
कोशिश तो कर - कविता - रवींद्र सिंह राजपूत
क्यों रुके हैं ये क़दम तेरे? तू चलने की कोशिश तो कर, माना की जो न मिल सका उसके लिए अफ़सोस है परन्तु तू आगे बढ़ने की कोशिश तो कर। मंज़िल ते…
चलो पथिक - कविता - मयंक द्विवेदी
सुगम पथ की राहों पर चलना भी क्या चलना है राह सीधी तो सबने देखी जाँची परखी अपनी मानी कहो दुर्गम अनजानी राहों के मंजर का क्या कहना है! …
अक्षर अक्षर कहे कहानी - कविता - जयप्रकाश 'जय बाबू'
अक्षर अक्षर कहे कहानी कही पे सुखा कही पे पानी सहम गए क्यूँ एक छोटी सी ठोकर खाकर ठहर गए चट्टान से थे जो फ़ौलादी पल भर में क्यूँ बिखर गए…
उड़ो तुम लड़कियों - कविता - सुनीता प्रशांत
उड़ो तुम लड़कियों छू लो आसमान कर लो मुठ्ठी में सारा जहान तोड़ दो दीवारे जो रोकती हैं तुम्हे छोड़ दो वो बंदिशे जो बाँधती हैं तुम्हे रूढ…
बढ़ते रहो पथिक सदा - कुण्डलिया छंद - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
बढ़ते रहो पथिक सदा, धरि धीरज की डोर। स्नेह प्रेम ममता लिए, सबहिं रखो हृद कोर॥ सबहिं रखो हृद कोर, शान्ति संयम को धारो। सीखो सहना पीर, अ…
नहीं चाहता आसाँ हो जीवन - कविता - मयंक द्विवेदी
चाहे सौभाग्य स्वयं हो द्वार खडे, चाहे कर्ता भी हो भूल पड़े, नहीं चाहता आसाँ हो जीवन, चाहे मग में हो शूल गढ़े। जो पत्थर होऊँ तो नींव मिल…
यह दीपक है इसे जलना ही चाहिए - कविता - उमेन्द्र निराला
देख बुराई अपने अंदर इसे मरना ही चाहिए, जीवन में फैला अँधेरा मिटना ही चाहिए, यह दीपक है इसे जलना ही चाहिए। लगी विचारों मे वर्षो की दीमक…
पथ सहज नहीं रणधीर - कविता - श्रवण सिंह अहिरवार
अपनी जीत पर अधिक उल्लास ना कर, मंज़िल अभी आगे है यह नज़र-अंदाज़ न कर, कर्तव्य पथ में बिखरे हैं शूल अनंत यह ध्यान धर, पथ सहज नहीं रणधीर ये…
जो सहज सुलभ हो - कविता - मयंक द्विवेदी
जो सहज सुलभ हो अमृत तो तुच्छ अमृत का क्यूँ पान करूँ इससे अच्छा तो विष पीकर विष का ही गुणगान करूँ कूल सिंधु के बैठे-बैठे क्यों मौजों का…
परीक्षा - कविता - महेन्द्र सिंह कटारिया
आने से जिसके चढ़े बुख़ार, जाने से ख़ुशी का बढ़े ख़ुमार। होती दुखदायी है, जीवन में परीक्षा। ज़िंदगी में होना अगर तो, मिले न प्रगति का ज्…
बदलते हालात - कविता - महेश कुमार हरियाणवी
अच्छी बातें अच्छी लगती, अच्छों का दे साथ। बुरे स्वयं मर जाएँगे जब, बदलेंगे हालात। पथ कहाँ कब एक रहा, रही हिलती-डुलती साख। सूरज आख़िर न…
जो जाता है उसे जाने दो - कविता - गणेश भारद्वाज
जो बीत गया सो बीत गया, अब बीता वक्त भुलाने दो। जीवन है आशा का दीपक, जो छोड़ गया उसे जाने दो। बीते से जो सीखा मैंने, नव क्यारी में उपजा…
ग़लतियों को समझ पाना - गीत - उमेश यादव
सुधरने को मन मचलना, साहस कहलात है। ग़लतियों को समझ पाना, हौसले की बात है॥ ग़लतियों से सीख लेना, श्रेष्ठतम सदज्ञान है। ग़लतियों से हारते…