स्वर्णिम आभा दीपों की,
फुलझड़ियों की झनकार।
लो आ गया ज्योतिअन्तस्तल में,
दीपावली का त्यौहार।
जो रहा अंधकार धरा में,
तो त्यौहार अधूरा है।
बिन तन स्वस्थता के,
श्रृंगार अधूरा है।
चलो इस बार दिवाली,
मिल जुल साथ मनाये।
दिए नफरत के दिलों से,
सबके दूर भगाएं।
है रघुनन्दन वरद कर रख,
दो कृपया दृष्टि बरसा।
अपने धनुष की प्रत्यंचा से,
करो कोरोना का नाश।
जो रहा अंधकार कोरोना का,
त्यौहार अधूरा है।
कोरोना मुक्त देश बना,
करना उद्देश्य पूरा है।
इस दीपावली तम मिटे,
छाए धरा पर उजास।
तो लो शपथ कहे अंजनी,
करेंगे पूरी ये आस।
अन्जनी अग्रवाल "ओजस्वी" - कानपुर नगर (उत्तर प्रदेश)