तेरे बाद कुछ भी ना था - ग़ज़ल - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव 'जानिब'
बुधवार, मई 21, 2025
अरकान: मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन फ़ेइलुन
तक़ती: 2122 2122 2122 212
तेरे बाद कुछ भी ना था, दिल में फिर भी धड़कन रही,
हर इक बात में तू था, साँसों में तेरी उलझन रही।
ख़्वाबों में जो रंग भरे, जागे तो सब फीके लगे,
नींदें भी रूठीं मुझसे, आँखों में बस इक तपन रही।
हमने हर रिश्ता बख़्शा, पर तू ही ख़ुदा बन गया,
तेरा नाम लिया हर पल, पर दिल में एक उलझन रही।
'जानिब' तुझसे दूर हुए, पर ये दूरी झूठी थी,
जिस्म जुदा हो सकता है, रूहों में फिर भी छन-छन रही।
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