डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' - नई दिल्ली
अभिनंदन मेहमान का - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सोमवार, नवंबर 22, 2021
मातु पिता जयगान हो, जय गुरु जय मेहमान।
भक्ति प्रेम जन गण वतन, ईश्वर दो वरदान।।
अभिनंदन मेहमान का, हो स्वागत सम्मान।
मधुर भाष मुख हास से, समझ अतिथि भगवान।।
अतिथि जगत में पूज्य है, देवतुल्य तिहुँ लोक।
करें समादर विनत मन, मिटे सकल दुख शोक।।
जीवन का सौभाग्य है, आगम घर मेहमान।
आनंदित आतिथ्य से, बढ़े गेह की शान।।
अतिथि देवो भव समझो, पूर्व पुण्य विधिलेख।
साधु समागम सम अतिथि, आगम ख़ुशियाँ देख।।
आते तिथि बिन अतिथि नित, लखि हर्षित परिवार।
खिले ख़ुशी मुस्कान मुख, अतिथि देव सत्कार।।
सदाचार मानक अतिथि, संस्कार गुण त्याग।
प्रीति नीति व्यवहार से, सहज हृदय अनुराग।।
अतिथि सदा सत्प्रेरणा, शील धीर मधुकान्त।
आतिथेय मन हो मुदित, मिले सुखद हिय शान्त।।
सदा सुखद बनना अतिथि, आतिथेय सम्मान।
खिले निमन्त्रण प्राप्ति मन, खान पान रस भान।।
मेहमान आगम सुखद, बने सदा नवप्रीत।
सहज सरल सौहार्द्र से, रचना हो नवमीत।।
अतिथि प्रकृति पहचान हो, नव रिश्ते अनुबन्ध।
हो मिठास आभास मन, हो भविष्य सम्बन्ध।।
लखि निकुंज मेहमान घर, मिले मधुर आनन्द।
आतिथेय अवसर सुलभ, खिला भाग्य मकरन्द।।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर