महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' - गुहाला, सीकर (राजस्थान)
नशा मुक्ति - कविता - महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता'
शुक्रवार, अक्टूबर 22, 2021
ख़ुद भी जागें औरों को जगाएँ,
नशामुक्ति अभियान चलाएँ।
भूलवश करें न ऐसी करतूत,
रहे ना जिससे सेहत मज़बूत।
अपनी भूलों को कर क़बूल,
अपनाएँ जीवन में उत्तम उसूल।
मिलकर हम माने और मनाएँ,
ख़ुद भी जागें औरों को...।
नशे की लत होती जग में बड़ी ख़राब,
गाँजा भाँग अफ़ीम या फिर हो शराब।
गुटका तंबाकू है बर्बादी का कारण,
समय रहते ही संभलना है निवारण।
आओं मिलकर कदम बढ़ाएँ
ख़ुद भी जागें औरों को...।
जानलेवा है नशे की मार,
बात पते की कर लो स्वीकार।
घर-परिवार जिससे होता बरबाद,
चेतनमय जीवन में आता अवसाद।
कर त्याग श्रेष्ठ नियम अपनाएँ,
ख़ुद भी जागें औरों को...।
दृढसंकल्पित हो मिल सब आज,
करें नशामुक्त भारत का आग़ाज़।
राष्ट्रोत्थान में हो एक नूतन उपकार,
दरिद्र जीवन जीने को हो न लाचार।
व्यर्थ बैठकर अब समय न गवाएँ,
ख़ुद भी जागें औरों को...।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर