फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर | Firaq Gorakhpuri Top 30 Sher

फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर | Firaq Gorakhpuri Top 30 Sher

फ़िराक़ गोरखपुरी उर्दू भाषा के प्रमुख शायरों में से एक थे। उनका असल नाम रघुपति सहाय था। उनका जन्म 28 अगस्त, 1896 को भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर शहर में हुआ था। वे उर्दू शायरी के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाने वाले महत्वपूर्ण शख़्सियत माने जाते हैं।

प्रस्तुत है फ़िराक़ गोरखपुरी जी के कुछ बेहतरीन शेर

Firaq Gorakhpuri Sher
मुझ को मारा है हर इक दर्द ओ दवा से पहले
दी सज़ा इश्क़ ने हर जुर्म-ओ-ख़ता से पहले

Firaq Gorakhpuri Sher
अब तो उन की याद भी आती नहीं
कितनी तन्हा हो गईं तन्हाइयाँ

Firaq Gorakhpuri Sher
अगर बदल न दिया आदमी ने दुनिया को
तो जान लो कि यहाँ आदमी की ख़ैर नहीं

Firaq Gorakhpuri Sher
अहबाब से रखता हूँ कुछ उम्मीद-ए-ख़ुराफ़ात
रहते हैं ख़फ़ा मुझ से बहुत लोग इसी से

Firaq Gorakhpuri Sher
अक़्ल में यूँ तो नहीं कोई कमी
इक ज़रा दीवानगी दरकार है

Firaq Gorakhpuri Sher
असर भी ले रहा हूँ तेरी चुप का
तुझे क़ाइल भी करता जा रहा हूँ

Firaq Gorakhpuri Sher
बहसें छिड़ी हुई हैं हयात ओ ममात की
सौ बात बन गई है 'फ़िराक़' एक बात की

Firaq Gorakhpuri Sher
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं

Firaq Gorakhpuri Sher
छलक के कम न हो ऐसी कोई शराब नहीं
निगाह-ए-नर्गिस-ए-राना तिरा जवाब नहीं

Firaq Gorakhpuri Sher
एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं

Firaq Gorakhpuri Sher
तो एक था मिरे अशआ'र में हज़ार हुआ
उस इक चराग़ से कितने चराग़ जल उठे

Firaq Gorakhpuri Sher
'फ़िराक़' दौड़ गई रूह सी ज़माने में
कहाँ का दर्द भरा था मिरे फ़साने में

Firaq Gorakhpuri Sher
हम से क्या हो सका मोहब्बत में
ख़ैर तुम ने तो बेवफ़ाई की

Firaq Gorakhpuri Sher
इक उम्र कट गई है तिरे इंतिज़ार में
ऐसे भी हैं कि कट न सकी जिन से एक रात

Firaq Gorakhpuri Sher
इसी खंडर में कहीं कुछ दिए हैं टूटे हुए
इन्हीं से काम चलाओ बड़ी उदास है रात

Firaq Gorakhpuri Sher
जो उन मासूम आँखों ने दिए थे
वो धोके आज तक मैं खा रहा हूँ

Firaq Gorakhpuri Sher
कहाँ हर एक से बार-ए-नशात उठता है
बलाएँ ये भी मोहब्बत के सर गई होंगी

Firaq Gorakhpuri Sher
खो दिया तुम को तो हम पूछते फिरते हैं यही
जिस की तक़दीर बिगड़ जाए वो करता क्या है

Firaq Gorakhpuri Sher
ख़ुश भी हो लेते हैं तेरे बे-क़रार
ग़म ही ग़म हो इश्क़ में ऐसा नहीं

Firaq Gorakhpuri Sher
कोई आया न आएगा लेकिन
क्या करें गर न इंतिज़ार करें

Firaq Gorakhpuri Sher
कोई समझे तो एक बात कहूँ
इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं

Firaq Gorakhpuri Sher
मैं आज सिर्फ़ मोहब्बत के ग़म करूँगा याद
ये और बात कि तेरी भी याद आ जाए

Firaq Gorakhpuri Sher
मेरी घुट्टी में पड़ी थी हो के हल उर्दू ज़बाँ
जो भी मैं कहता गया हुस्न-ए-बयाँ बनता गया

Firaq Gorakhpuri Sher
न कोई वा'दा न कोई यक़ीं न कोई उमीद
मगर हमें तो तिरा इंतिज़ार करना था

Firaq Gorakhpuri Sher
रफ़्ता रफ़्ता ग़ैर अपनी ही नज़र में हो गए
वाह-री ग़फ़लत तुझे अपना समझ बैठे थे हम

Firaq Gorakhpuri Sher
समझना कम न हम अहल-ए-ज़मीं को
उतरते हैं सहीफ़े आसमाँ से

Firaq Gorakhpuri Sher
तारा टूटते सब ने देखा ये नहीं देखा एक ने भी
किस की आँख से आँसू टपका किस का सहारा टूट गया

Firaq Gorakhpuri Sher
तबीअत अपनी घबराती है जब सुनसान रातों में
हम ऐसे में तिरी यादों की चादर तान लेते हैं

Firaq Gorakhpuri Sher
उसी दिल की क़िस्मत में तन्हाइयाँ थीं
कभी जिस ने अपना पराया न जाना

Firaq Gorakhpuri Sher
उसी की शरह है ये उठते दर्द का आलम
जो दास्ताँ थी निहाँ तेरे आँख उठाने में



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