संदेश
तू मेरी अन्तर्नाद बनी - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
तू सुरभित पुष्पों-सी कोमल, मैं तेरा मधुमास बना। तू जलती दीपक की लौ-सी, मैं उसका विश्वास बना। तू सागर की शांत लहर-सी, मैं उसका उल्लास ब…
रात: भावनाओं का विराट ग्रंथ - कविता - प्रेम चेतना
यह रात भी कितनी रहस्यमयी है... ना जाने कितने अनकहे जज़्बात, कितनी बेनाम कसकें धीरे-धीरे उतरने लगती हैं इस निशाचर नीरवता की गोद में। जब…
सावन की सरगम - कविता - अभी झुंझुनूं
धरती ओढ़े पात गगरी, बदरा करे सिंगार, सावन आई घटा घिरी, बजी मल्हार-पुकार। हर डाली बोले पपीहा, "पिया मिलन को आओ", मनवा डोले जै…
शाश्वत-संबंध - कविता - प्रवीन 'पथिक'
कितने अरसे बीत गए! लड़ते-झगड़ते रूठते और मनाते हुए, ना तुम बदली! ना मैं ही बदला। वो संयोग पक्ष के लम्हें, आज भी यथावत् हैं। ना तुम मिल…
मेरा गाँव - कविता - दिलीप कुमार चौहान 'बाग़ी'
गीत पिक के, काक के काँव-काँव बट वृक्ष के छाँव, सरसों के पीत पुलकित पुष्प सरिता में विहसित नाव। खेतों में बैलों की जोड़ी मुस्काते खेत-ख…
तुम चाँद की बातें करते हो - कविता - सुनील खेड़ीवाल 'सुराज'
तुम चाँद की बातें करते हो, शहरों की सड़के ठीक नहीं, झरने पहाड़ जीव ये जंगल, क्या जीवन का प्रतीक नहीं। काट रहे हो जंगलों को, परिंदे अब …
हिंसा: एक जघन्य अपराध - मदिरा सवैया छंद - पवन कुमार मीना 'मारुत'
आदिम मानव जंगल में रहता, कम थी मति मानुष में। चर्म चबाकर भूख मिटाकर, नग्न व धावत था वन में। बेबस था मजबूर परन्तु, अभी प्रज्ञ पण्डित है…
कल आएगा सुखद सबेरा - मुक्तक - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
आज अंधेरा है जीवन में कल आएगा सुखद सबेरा। मत निराश हो धैर्य तुम्हारा काटेगा तम का घेरा। रुके नहीं साधना तुम्हारी निशिवासर श्रम बिन्दु …
हर हर महादेव शम्भु - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
धर्म सनातन पर्व शुभ, सावन पावस मास। त्रयोदशी पूजन सविधि, उभय पक्ष उपवास॥ प्रदोष व्रत शिव वन्दना, फागुन सावन मास। कृपासिंधु शिव साधना, …
भगवान बुद्ध - कविता - संजय राजभर 'समित'
मैं टूटा हुआ हूॅं मानवता के तमाम टुकड़े हैं एक टुकड़ा तू भी उठा ले हर टुकड़ा! कुछ न कुछ कहता है आइना दिखाता है, मैं पारस नहीं हूॅं पर …
मौन का भी अर्थ है - कविता - श्वेता चौहान 'समेकन'
मौन का भी अर्थ है। ग़र समझ तुम जाओगे। शब्द से मौन का, निहितार्थ अधिक पाओगे। बात करती है नज़र भी, इनसे भी संवाद हो। चाहते नहीं अधर अब हम…
आया है सावन - कविता - सूर्य प्रकाश शर्मा 'सूर्या'
बादल उड़ते हैं जल लेकर, दो-एक? ना, पूरा दल लेकर। ज्यों पड़ी तप्त भू पर दृष्टि, करते शीतल, करके वृष्टि। लगता है आया पृथ्वी पर— जल, गंगा…
आत्मा से कटे वाई-फ़ाई से जुड़े - कविता - सुशील शर्मा
हम अब एक-दूसरे के पास नहीं रहे, हाथ से हाथ छूटे नहीं, पर छूने की इच्छा मर चुकी है। बगल में बैठा इंसान अब बस एक स्थिति है न ज़िंदा, न म…
तलाश - कविता - प्रेम चेतना
हर जीवन की मौन कथा – तलाश। अशांति की गर्जना में शांति की प्यास, अकेलेपन के वीराने में प्रेम के आस। वेदना की राख में ईश्वर की झलक, और म…
संत और शैतान मैं ही हूँ - लेख - डॉ॰ सुनीता सिंह
संत कौन है...? हमारे मन में यही बात बार-बार उत्पन्न हो रही थी। रह रहकर अंदर से आवाज़ आती कि संत कौन है? क्या मैं हूँ संत? अगर मैं संत ह…
हामर छोटा नागपुर - खोरठा गीत - विनय तिवारी
हामर छोटा नागपुर हामर हीरानागपुर। हीरा मोती सेंताइल यहाँ माटीक तरें भरपूर माटिक तरें भरपूर। हामर छोटा नागपुर हामर हिरानागपुर हामर सोना…
सर, क्या आप ख़ुश हैं? - कहानी - आलोक कौशिक
राजीव वर्मा लखनऊ के एक निजी अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल में गणित पढ़ाते हैं। योग्यता: स्नातकोत्तर, बी॰एड॰ वेतन: ₹14, 500 प्रति माह (12 मही…
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