मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर
गुरुवार, अप्रैल 09, 2020
इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया
वर्ना हम भी आदमी थे काम के
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Ishq Ne Ghalib Nikamma Kar Diya
Warna Ham Bhi Aadami The Kaam Ke
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है
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Dil-E-Nadan Tujhe Hua Kya Hain
Akhir Is Dard Ki Dawa Kya Hai
उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है
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Un Ke Dekhe Se Jo Aa Jati Hai Munh Pe Raunak
Wo Samjhate Hai Ki Bimaar Ka Hal Achchha Hain
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना
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Esharat-E-Katara Hai Dariya Me Fana Ho Jana
Dard Ka Had Se Guzarana Hain Dawa Ho Jana
दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई
दोनों को इक अदा में रज़ामंद कर गई
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Dil Se Teri Nigah Jigar Tak Utar Gayi
Dono Ko Ek Adaa Me Rajamand Kar Gayi
इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब'
कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे
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Ishq Par Jor Nahi Hain Ye Aatish "Ghalib"
Ki Lagaaye Naa Lage Bujhaye Na Bujhe
दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ
मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ
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Dard Minnat Kash-E-Dawa N Hua
Main N Achchha Hua Na Bura Hua
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक
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Aah Ko Chahaiye Ek Umar Asar Hote Tak
Kaun Jeeta Hai Tiri Zulfo Ke Sar Hone Tak
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
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Mohabbat Me Nahi Hai Farq Jeene Aur Marane Ka
Usi Ko Dekh Kar Jeete Hai Jis Kafir Pe Dam Nikale
दर्द जब दिल में हो तो दवा कीजिए
दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजिए
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Dard Jab Dil Me Ho To Dawa Kijiye
Dil Hi Jab Dard Ho To Kya Kijiye
क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हां
रंग लावेगी हमारी फ़ाक़ा-मस्ती एक दिन
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Karz Ki Peete The May, Lekin Samjhate The Ki Han
Rang Lavegi Hamari Faka-Masti Ek Din
कितना ख़ौफ होता है शाम के अंधेरों में
पूछ उन परिंदों से जिनके घर नहीं होते
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Kitana Khauf Hota Hai Shaam Ke Andhero Me
Punchh Un Parindo Se Jinake Ghar Nahi Hote
हाथों की लकीरों पे मत जा ऐ गालिब
नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होते
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Hatho Ki Lakiron Pe Mat Ja E "Ghalib"
Nasib Unake Bhi Hote Hai, Jinake Hath Nahi Hote
नज़र लगे न कहीं उसके दस्त-ओ-बाज़ू को
ये लोग क्यूँ मेरे ज़ख़्मे जिगर को देखते हैं
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Nazar Lage N Kahi Usake Dast-O-Baju Ko
Ye Log Kyun Mere Zakhme Jigar Dekhate Hai
काबा किस मुँह से जाओगे 'ग़ालिब'
शर्म तुम को मगर नहीं आती
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Kaba Kis Muh Se Jaoge "Ghalib"
Sharm Tum Ko Magar Nahi Aati
रही न ताक़त-ए-गुफ़्तार और अगर हो भी
तो किस उम्मीद पे कहिये के आरज़ू क्या है
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Rahi N Takat-E-Guftaar Aur Agar Ho Bhi
To Kis Ummid Pe Kahiye Ke Aarzoo Kya Hai
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
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Hazaron Khwahishe Esi Ki Har Khwahish Pe Dam Nikale
Bahut Nikale Mire Armaan Lekin Fir Bhi Kam Nikale
न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता
डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता
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N Tha Kuchh To Khuda Tha, Kuchh N Hota To Khuda Hota
Duboya Mujh Ko Hone Ne N Hota Main To Kya Hota
हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे
कहते हैं कि 'ग़ालिब' का है अंदाज़-ए-बयाँ और
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Hai Aur Bhi Duniya Me Sukun-Var Bahut Achchhe
Kahate Hai Ki "Ghalib" Ka Hain Andaaz-E-Bayan Aur
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है
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Rango Me Daudate Firane Ke Ham Nahi Kayal
Jab Ankh Hi Se N Tapaka To Fir Lahu Kya Hai
हुई मुद्दत कि 'ग़ालिब' मर गया पर याद आता है
वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता
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Huyi Muddat Ki "Ghalib" Mar Gaya Par Yaad Aata Hai
Wo Har Ek Baat Pe Kahata Ki Yun Hota To Kya Hota
जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजू क्या है
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Jula Hai Zism Janha Dil Bhi Jal Gaya Hoga
Kudarate Ho Jo Ab Raakh Justaju Kya Hain
वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत हैं
कभी हम उनको, कभी अपने घर को देखते हैं
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Wo Aaye Ghar Me Hamare, Khuda Ki Kudarat Hai
Kabhi Ham Unako Kabhi Apane Ghar Ko Dekhate Hain
यही है आज़माना तो सताना किसको कहते हैं
अदू के हो लिए जब तुम तो मेरा इम्तहां क्यों हो
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Yahi Hai Aazamana To Satana Kisko Kahate Hai
Adu Ke Ho Liye Jab Tum To Mera Inthaan Kyu Ho
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मिरे आगे
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Bagicha-E-Atafaal Hai Diniya Mire Aage
Hota Hai Shab-O-Roz Tamasha Mire Aage
बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना
आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसाँ होना
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Bas-KI-Dushwaar Hai Har Kaam Ka Aasaan Hona
Aadami Ko Bhi Mayassar Nahi Insaan Hona
रेख़्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो 'ग़ालिब'
कहते हैं अगले ज़माने में कोई 'मीर' भी था
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Rekhte Ke Tumhi Ustaad Nahi Ho "Ghalib"
Kahate Hai Agale Zamaane Me Koi Meer Bhi Tha
रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ तो मिट जाता है रंज
मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं
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Ranj Se Khugar Hua Insaan To Mit Jata Hain Ranj
Mushkile Mujh Par Padi Itani Ki Asaan Ho Gayi
हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन
दिल के खुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़्याल अच्छा है
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Hamko Malum Hai Zannat Ki HAQIQAT Lekin
Dil Ke Khush Rakhane Ke "Ghalib" Ye Khyaal Achchha Hain
तेरे वादे पर जिये हम, तो यह जान, झूठ जाना
कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर एतबार होता
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Tere Wade Par Jiye Ham, To Yah Jaan, Jhuth Jana
Ki Khushi Se Mar N Jate, Agar Etbaar Hota
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