बाबा साहेब को भूल रहे तुम - कविता - अरविन्द कालमा

भारतीय संविधान हमने बेसिक पढ़ा है
जिसे डॉ.भीमराव अम्बेडकर ने गढ़ा है
उन्होंने दिए समानता और प्रेम के सन्देश
पथ पर उनके चल बहुजन आगे बढ़ा है।।

सीना तानकर गर्व से जय भीम कहेंगे 
बहुजन अब गुलाम  बनकर नहीं रहेंगे
सदियों से प्रताड़ित किया बहुजनों को
जुल्मियों के जुल्मों को अब नहीं सहेंगे।।

था नहीं पानी पीने का भी उन्हें अधिकार
समाज को उच्च कोटि लोग देते धिक्कार
उच्च शिक्षा  प्राप्त की थी कोलम्बिया से
किया बाबा साहेब ने कलम से शिकार।।

सूर्य था अन्धकार में उजाला भरने वाला
निर्धनों को दिया भीम ने मुँह में निवाला
शोषित वर्ग को दिया  समानता का हक
सुख त्यागकर थमा दिया अमृत प्याला।।

आजकल के युवा भीम को भूल रहे
मिटा उनको ही रहे जो उनके मूल रहे
जब-जब होता है उनपे अत्याचार तब
बार-बार ठोकर खाकर,चाट धूल रहे।।

कुछ महिलाएं भी भूल रही उनके उपकार
हिन्दू कोड  बिल लाकर  दिलाए अधिकार
भरण-पोषण, तलाक, पति की हैसियत के
हिसाब से खर्चे का दिलाया भीम ने अधिकार।।

क्यों भूल रहे तुम भीम के उपकार को
हक शिक्षा का दिया, सौंपा अधिकार को
आज भूल रहे तुम उस महापुरुष को क्यों?
जिसने ताउम्र मिटाया तुम्हारे अंधकार को।

अरविन्द कालमा - साँचोर, जालोर (राजस्थान)

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