कलम की मिसाल - कविता - आशाराम मीणा

कलमकार हूँ कलम की मिसाल लिखता हूँ।
नापाक दिलो को पाक करे वो नजीर लिखता हूँ।।
जो टूट चुके उन पैमानों का नाप लिखता हूँ।
इंसानियत को राह मिले वो नसीहत लिखता हूँ।।

वीरांगना की वीरता की पहचान लिखता हूँ।
शीश निशानी भेज दे वह वृतांत लिखता हूँ।।
सती हो चुकी पद्मावती की गाथा लिखता हूँ।
कलमकार हूँ कलम की मिसाल लिखता हूँ।।

हिंदू शिरोमणि शेर का इतिहास लिखता हूँ।
हल्दीघाटी के लहू रण का दृष्टांत लिखता हूँ।।
गजफौज से लड़े चेतक की प्रशंसा लिखता हूँ।
कलमकार हूँ कलम की मिसाल लिखता हूँ।।

पँख कटे हुए परिंदों की उड़ान लिखता हूँ।
सीमा पार खड़े वीरो की विरानी लिखता हूँ।
खीचड़ में खिले कमल की दास्तान लिखता हूँ।
कलमकार हूँ कलम की मिसाल लिखता हूँ।।

वसुंधरा के दर्द की सच्ची इबादत लिखता हूँ।
ज़ुल्मकारी सत्ता की सियासत लिखता हूँ।।
न्याय नहीं हैं अबला को हकीकत लिखता हूँ।
कलमकार हूँ कलम की मिसाल लिखता हूँ।।

आशाराम मीणा - कोटा (राजस्थान)

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