संघर्ष सफलता की कुंजी है - आलेख - मधुस्मिता सेनापति

संघर्ष एक ऐसा अनुभव है, जो जीवन में आने वाली हर एक पड़ाव को पार करने के लिए एक मूल्यवान अस्त्र के तरह हमारे सामने आ खड़ी होती है। बिना इसके कभी जीवन में कुछ हासिल नहीं होता।

जीवन संघर्ष के दो पहलू हैं-
एक नकारात्मक अनुभव और एक सकारात्मक अनुभव। जब मनुष्य जीवन संघर्ष के दौर में गुजर रहा होता है तब जीवन संघर्ष उसके लिए एक नकारात्मक अनुभव ले आती है ओर यही उसके लिए नकारात्मक अनुभव साबित होती है, लेकिन संघर्ष के दौर को जब मनुष्य पार कर जाता है तब संघर्ष के सकारात्मक पक्ष का अनुभव होने लगती है, लेकिन वास्तविकता यह है कि संघर्ष चाहे कितने भी कष्ट पूर्ण हो फिर भी वह एक उज्ज्वल भविष्य के लिए सर्वदा मार्ग प्रशस्त करती रहती हैं। इसमें कोई दोराह नहीं की संघर्ष जीवन को तरसता है, निखरता है, संभालता है, सँवारता है फिर हमें ऐसे साँचे में गढ़ता है जिसकी परिणति हमें जीवन में सफलता प्राप्त करने के बाद ही अनुभव होती है। शायद यही वह मुकाम होता है मनुष्य अथक प्रयास करते समय कभी थकता ही नहीं जिसे हम "जीवन संघर्ष" के नाम से जानते हैं।

मनुष्य अपने जीवन में तब तक समय की कीमत नहीं समझ पाता जब तक वह संघर्ष भरी जीवन से न गुजरा हो इसीलिए सर्वदा समय की कीमत सिखाने के लिए संसार में रहने वाले प्रत्येक मनुष्य को संघर्ष भरे जीवन से गुजरना अनिवार्य होता है, जिससे प्रेरणा पाकर हम फिर से अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होते हैं और जीवन जीने की सही तरीका को अपनाते हैं।

इस संसार में रहने वाले हर एक व्यक्ति अपने जीवन में सफलता पाने की उम्मीद करता है और यही उम्मीद से कभी-कभी मनुष्य कड़ी मेहनत के साथ लगन के साथ कामयाबी हासिल करने की कोशिश करता है लेकिन जीवन में ऐसा दौर भी आता है जब कड़ी मेहनत करने के बावजूद भी सफलता तक मनुष्य नहीं पहुंच पाता है ओर वह निराश हो जाता है। लेकिन यही एक ऐसा दौर होता है जब मनुष्य के इच्छा शक्ति, धैर्य के बारे में ज्ञात हो जाती है। सफलता की अंतिम मुकाम  तक पहुँचने से पहले ही जब मनुष्य जीवन की चुनौतीपूर्ण पहलुओं को देखकर पीछे हट जाता है तब वो सफलता प्राप्त करने से वंचित रह जाता है, तो इससे हमें यही सीख प्राप्त होती है कि जीवन के आखिरी वक्त तक हमें संघर्ष करने में कभी पीछे नहीं हटना चाहिए क्योंकि जीवन ‘संघर्ष’ का दूसरा नाम हैं।

एक बात हमेशा याद रखिए, अपनी मंजिल का आधा रास्ता तय करने के बाद पीछे ना देखे बल्कि पूरे जुनून और विश्वास के साथ बाकी की आधी दूरी तय करे, बीच रास्ते से लौटने का कोई फायदा नहीं क्योंकि लौटने पर आपको उतनी ही दूरी तय करनी पड़ेगी जितनी दूरी तय करने पर आप लक्ष्य तक पहुँच सकते है।
आगे बढ़कर भी अगर सफलता ना मिल पाई तो भी कोई बात नहीं कम से कम अनुभव तो नया होगा। बार-बार हार के भी हिम्मत के साथ अपने मंजिल की तरफ कदम बढ़ाना ही संघर्ष है।

अपनी हर असफलता से कुछ सीखिए और निडरता के साथ संघर्ष का दामन थाम के मंजिल की ओर आगे बढ़िए। जब तक जीवन में संघर्ष नहीं होता तब तक जीवन जीने के अंदाज को, सच्ची खुशी को, आनंद को, सफलता को अनुभव भी नहीं कर सकते। जिस तरह बिना चोट के पत्थर भी भगवान नहीं होता। ठीक उसी तरह मनुष्य का जीवन भी संघर्ष की तपिश के बिना ना तो निखर सकता है, ना शिखर तक पहुँच सकता है और ना ही मनोवांछित सफलता पा सकता है क्योंकि ”संघर्ष हमारे जीवन का सबसे बड़ा वरदान है और वो हमें सहनशील, संवेदनशील और देवतुल्य बनाता हैं।” संघर्ष के इस सूत्र को समझिए और उसपर चलने की कोशिश कीजिए। आज का संघर्ष आपके कल को सुरक्षित करता है। आप जिस तरह का संघर्ष करते है भाग्य भी उसी के अनुरूप फल देता है। यह सत्य है जीवन में कई बार बुनियादी, सामाजिक, पारिवारिक आदि समस्याएँ आ जाती है तब लक्ष्य के प्रति संघर्ष की इच्छाशक्ति को बनाए रखना मुश्किल हो जाता है क्योंकि ऐसी परिस्थिति में जीवन का संघर्ष कई गुणा बढ़ जाता है। लेकिन ऐसी स्थिति में भी सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति अपनी आंतरिक इच्छाशक्ति की ताकत और शारीरिक व मानसिक क्षमता के बल पर किसी भी संघर्ष से जूझ सकता है बस उसमें अपने लक्ष्य के प्रति ललक होनी चाहिए। क्योंकि ”जितना कठिन संघर्ष होगा, जीत भी उतनी ही शानदार होगी।"

मधुस्मिता सेनापति - भुवनेश्वर (ओडिशा)

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