जगमग दीप जले - कविता - रमाकांत सोनी

दीपों की सजी है कतार 
जगमग दीप जले।
लक्ष्मी जी आई घर द्वार 
जन जन फुले फुले
धन-धान्य सुख देने वाली
दुख दारिद्र को हारने वाली
दे वैभव भरे भंडार 
जगमग दीप जले।
जीवन सुख से भर जाए 
घर आंगन रोशन हो जाए 
दीप मिलन बिखेरे प्यार 
जगमग दीप जले।
मंगलमय यह वर्ष हो
शुभ दायक तिथि वार 
घर घर में खुशहाली हो
बरसे खुशियों की बौछार 
जगमग दीप जले।
दिवाली के शुभ अवसर पर
सबको खूब बधाई
खुशियों में झूमे नाचे 
घर-घर भाई भाई
दीपों का त्योहार हर्ष का
खुशियों का आलम पले
अंधकार का अंत कर 
जगमग दीप जले।
घट घट हर्षित स्नेह भरा हो 
नूर बरसता हर चेहरा हो
मिले सबको कीर्ति अपार 
जगमग दीप जले।

रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)

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