श्री गणेश वन्दना - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'

पद सरोज श्रद्धा नमन, करूँ गजानन आज। 
उमातनय परमेश कुरु, स्वस्ति लोक गणराज।।

गणनायक पूजन करूँ, हे अच्युत विघ्नेश।  
गजमुख वरदायक नमन, लम्बोदर बुद्धेश।।

एकदन्त गिरिजा तनय, शरणागत करुणेश।
रक्ताम्बर शुभ गात्र प्रभु, गौरीनन्द गणेश।।

मंगलेश गौरीतनय, गणनायक बुद्धीश।
वाहन मूषिकराज है, जगपालक जगदीश।।

पंचदेव में पूज्य हो, गणभूतों के नाथ।
सकल मनोरथ पूर्ण कर, बुद्धि विधाता साथ।।

हे गणेश सानंद कर, नित सुखमय संसार। 
दे पापों को दूर कर, विश्व शान्ति उपहार।।

राग द्वेष छल लोभवश, फँसे हुए जग लोग।
बुद्धि विनायक त्राण कर, तजें स्वार्थ हठयोग।।

मातु पिता आवृत्त कर, गणपति देव प्रधान।
ज्ञान बुद्धि सच तेज बल, दाता तुम भगवान।।

देवासुर ऋषिगण मनुज, तन मन करते ध्यान। 
सब विघ्नों को पारकर, पाते यश सम्मान।।

दीप जला पूजन करूँ, विनत आरती थार।
हर निकुंज संताप प्रभु, भवसागर से पार।।

हे विघ्नेश्वर क्षमा कर, ज्ञानहीन कृत पाप।
सत्पूजन तेरा करूँ, होऊँ मैं निष्पाप।।

डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' - नई दिल्ली

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