धनतेरस - कविता - सुधीर श्रीवास्तव

आइए! धनकुबेर के नाम
एक दीप जलाते है,
कुबेर जी से आशीष पाते हैं।
धनतेरस से ही दीवाली पर्व की
शुरुआत होती है।
आज हम धन कुबेर जी को मनाते हैं
धन धान्य से भरपूर होने का
सब वरदान चाहते हैं।
आज इस बार हम सब
अपने साथ साथ
दीन हीन असहायों के लिए भी
धन दौलत सुख माँगते हैं।
हे प्रभु! मुझ पर अपनी कृपा बरसाओ
मगर उससे पहले
उन पर भी कृपा करो,
जो गरीब, लाचार असहाय हैं,
उन्हें भी खुशहाल करो
उनकी बदहाली पर तरस खायो,
जन जन पर अपनी
बहुत कृपा बरसाओ।
बस मेरी इतनी सी विनती है
भूख, बेबसी, लाचारी मिटाओ
मेरी पूजा का बस इतना फल दे दो
हर चेहरे पर मुस्कान और
हर झोली में धन भर दो।

सुधीर श्रीवास्तव - बड़गाँव, गोण्डा (उत्तर प्रदेश)

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