कुछ बचाने, छुपाने
के बीच रह जातीं हैं
पैरों की छाप
साँसों की गर्मी
धड़कन की उथल-पुथल
दिमाग़ की तेजी औ उसका सन्नाटा।
जिस पर आप ओढ़ा देते हैं
बातों की चादर।
चढ़ा देते हैं
विश्वास की खोल।
और रख देते हैं
वर्तमान के गर्भ में
सुनहरे भविष्य के ख़ातिर।
वरुण "विमला" - बस्ती (उत्तर प्रदेश)