वरुण "विमला" - बस्ती (उत्तर प्रदेश)
तेरे मेरे दरमियान - कविता - वरुण "विमला"
गुरुवार, नवंबर 12, 2020
कुछ बचाने, छुपाने
के बीच रह जातीं हैं
पैरों की छाप
साँसों की गर्मी
धड़कन की उथल-पुथल
दिमाग़ की तेजी औ उसका सन्नाटा।
जिस पर आप ओढ़ा देते हैं
बातों की चादर।
चढ़ा देते हैं
विश्वास की खोल।
और रख देते हैं
वर्तमान के गर्भ में
सुनहरे भविष्य के ख़ातिर।
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