संदेश
माँ के चरणों में - कविता - रमाकान्त सोनी
माँ के चरणों में स्वर्ग बसा दूनिया के चारो धाम वहां सारे तीर्थों से बड़ा तीर्थ ममता की मूरत जननी माँ उसके आशीष में जीवन है सारे ग्रन्थ…
मर गयी है इंसानियत - कविता - विजय कुमार निश्चल
मर गयी है इंसानियत फैल रही है हैवानियत मासूम बच्चियों से बलात्कार खो रही है आदमियत बेटियाँ घर से बाहर निकलते डरती है जैसे तैसे वहशी बु…
मधुबन जैसी उदारता - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
बन प्रसून खुशबू बिखरा दो, पुष्प हृदय सी विशालता। तालमेल काटो संग सीखो, मधुबन जैसी उदारता। पुष्प सिखाता परिवर्तन को, यही पुष्प की महा…
विधवा पेंशन - हास्य कविता - सुधीर श्रीवास्तव
पति पत्नी में बड़ा प्यार था, मगर अचानक एक दिन पत्नी को जाने क्या सूझी पति से बोली तुम्हारे दिमाग तो है ही नहीं। पति चौंका आंय ऐसा भी है…
दिल करता है - कविता - सन्तोष ताकर "खाखी"
कोई हैं जो रूठा था, मनाने को दिल करता है। कोई हैं जो गीत था, गुनगुनाने को दिल करता हैं। कोई है जो दोस्त से थोड़ा ज्यादा था, दीवाना कहन…
ज़िंदगी में ऐसे पल भी आते है - कविता - अंकुर सिंह
ज़िंदगी में ऐसे पल भी आते है, नाखुश होकर भी हम खुश हो लेते है। ग़म चाहें जितने हो इस दिल में, दफ़न कर उन्हें सीने में जी लेते है।। लाख …
आत्मविस्मृति - कविता - प्रवीन "पथिक"
हम उस राह के हैं पथिक! जाते जिस पथ से, वहाँ तेरे पाँवों की आहट सुनाई देती! तेरी छनकती पायल; खनकती चूड़ियाँ; कानों की झूमती बाली, औ कमर…
दम निकल रहा - कविता - बिट्टू
गर होती मुलाकात सपनों में भी उनसे फिर भी पहले जैसी आती वो देर हमसे। मेरी जिंदगी मानो यूँ कट रही आज कल क़त्ल कोई कर जाये तो इन्ज़ाम त…
आज तू मेरे पास बैठ जा - कविता - आर एस आघात
आज तू मेरे पास बैठ जा, दिल फरियाद ये करता है। मुझको मेरा वक़्त लौटा दे, या मुझको बदनाम न कर। आज तू मेरे पास... यूँ तन्हा ये वक़्त न कटता…
संघर्ष - आलेख - सलिल सरोज
जीवन की शुरुआत के बारे में कोई निर्णायक सबूत नहीं है। हमने अनुमान और शोध किए हैं। हम सच्चाई के बहुत करीब आ गए हैं, यानी जीवन की शुरुआत…
जाति - कविता - प्रीति बौद्ध
यह जो हमारी जाति है। वह कभी न जाती है।। इस जाति ने बहुत ही सताया है ऊंचे पदों का अपमान कराया है यह किसी ने षड्यंत्र रचाया है कुदरत ने …
आज त्रस्त भयग्रस्त गुरु - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
शिक्षक को चाकर समझ,अभिभावक व्यवहार। फँसा संपदा मोह में, शील कर्म लाचार।।१।। चाहत उत्तम अंक की, बच्चों से नित चाह । निरत स…
आदत तुम्हारी न बन जाये - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
हर किसी को चाहना और उसें प्यार जताना कही आदत तुम्हारी न बन जाये। हमसें झूठ बोलना और किसी के वादे निभाना डर हमको, तुम्हे कोई बदनाम न कर…
लगता है मुझे प्यार हो गया - गीत - समुन्द्र सिंह पंवार
मेरी नींद, मेरा चैन सब खो गया। लगता है मुझे यारों प्यार हो गया।। खोये खोये रहना और खुद से बतियाना, बेवजह हँसना और बेवजह मुस्कुराना, पत…
अच्छा नहीं - कविता - कपिलदेव आर्य
दिल बहलाने के लिए, दिल तोड़ना अच्छा नहीं, हथेली में पूनम का चाँद दिखाना, अच्छा नहीं. डरती हैं कुछ नाजुक आँखें ख़्वाब देखने से, नज़ारे झूठ…
क़ुर्बत - नज़्म - अंकित राज
मेरी आँखों में झिलमिलाती वो, मेरे ख़्वाबों में रोज़ आती वो... फिर गले से मुझे लगाती वो, मेरी बाहों में मुस्कुराती वो... च…
मन ही मन में - कविता - मयंक कर्दम
एक परिंदा उडता है मन में, साँसों से परे, जिस्म से दूर, घर से दूर, ख्वाब सा बुनता है। एक परिंदों का जाल, मन ही मन में, इधर-उधर शो…
ध्वजा व्योम लहराएँगे - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
काया शोणित का एक शेष कण हम अपना कर्तव्य निभाएँगे। नित आन बान सम्मान भारती, हर कीमत पर सदा बचाएँगे। जो गद्दा…
अमर जवान - कविता - गणपत लाल उदय
जवान वो शहीद अमर हुआ है मरा नहीं तिरंगा अभी हाथ में है उसके गिरा नहीं। उसके लहू से जिसको लगा था टीका वो माँ है हम सबकी केवल धरा…
कुछ ऐसा कर लो - कविता - सन्तोष ताकर "खाखी"
कुछ ऐसा कर लो, अपनी बाहों से लगा लो, कश लो कुछ पल ऐसे, अपने सीने की धड़कन सुना दो। मुझे कुछ इस तरह अपना लो, खो जाने दो साँसों में अपन…
धरती की चेतावनी - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
मेरे प्यारे बच्चों मैं तुम्हें कैसे समझाऊँ? क्या क्या बताऊँ? तुम्हें अपनी धरती माँ की चिंता शायद नहीं हो रही है, इसीलिए मेरी साँसे घु…
मुहब्बत से - ग़ज़ल - रोहित गुस्ताख़
जबसे बोला उसने हाय मुहब्बत से ली फिर दीवानों की राय मुहब्बत से आते देख छुपा करती थी जो लड़की उसने आज पिलाई चाय मुहब्बत से बात लबों तक द…
वक़्त की पुकार - कविता - आशुतोष यादव
खामोशी का ताला हटा, कर दो जज्बातों की बारिश। आँच न आये कुल की जमीर पर, उजागर कर वंशज की परवरिश। बहुत तपे उल्फ़त की तपिश में, वक़्त की …
मैं और तुम - कविता - शेखर कुमार रंजन
मैं और तुम कभी हम ना हो पायेंगे सपने हमारी कभी पूरे न हो पायेंगे प्यार भरी गीत संग हम नहीं गायेंगे आप हो अमीर हम अमीर हो ना पायेंगे। आ…
दिलकश - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"
तेरा चेहरा कितना दिलकश लगता है , तेरे आगे यह चाँद भी धुंधला लगता है । तिरछे नयनों से तीर जब चलते हैं , निशाना मेरे दिल पर लगता है …
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