गणपत लाल उदय - अजमेर (राजस्थान)
अमर जवान - कविता - गणपत लाल उदय
सोमवार, नवंबर 09, 2020
जवान वो शहीद अमर हुआ है मरा नहीं
तिरंगा अभी हाथ में है उसके गिरा नहीं।
उसके लहू से जिसको लगा था टीका
वो माँ है हम सबकी केवल धरा ही नहीं।
वतन के लिए आज दिया है जो जान
व्यर्थ न जाऐगा उस वीर का बलिदान।
सदा ऋणी रहेगा भारत वीर जवान तेरा
स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाऐगा नाम तेरा।
मरने के बाद भी जिसके नाम मे है जान
ऐसे जाँबाज फौजी मेरे भारत की शान।
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