मुहब्बत से - ग़ज़ल - रोहित गुस्ताख़

जबसे बोला उसने हाय मुहब्बत से
ली फिर दीवानों की राय मुहब्बत से

आते देख छुपा करती थी जो लड़की
उसने आज पिलाई चाय मुहब्बत से

बात लबों तक दिल की लायेगी इक दिन
हँसकर मुझको बोला बाय मुहब्बत से

रोहित गुस्ताख़ - दतिया (मध्य प्रदेश)

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