मेरी नींद, मेरा चैन सब खो गया।
लगता है मुझे यारों प्यार हो गया।।
खोये खोये रहना और खुद से बतियाना,
बेवजह हँसना और बेवजह मुस्कुराना,
पता नहीं कौन ये बीज बो गया।
लगता है मुझे यारों प्यार हो गया।।
मेरी नस-नस में कोई ऐसा है समाया,
चाह कर भी उसको जाता नहीं भुलाया,
उसका मुस्कराना मुझे मोह गया।
लगता है मुझे यारों प्यार हो गया।।
मेरी आँखे उसे ही बस उसे ही देखना चाहे,
मेरी बातें केवल उसे ही बस उसे ही सराहे,
उसके ख्यालों में अब मैं खो गया।
लगता है मुझे यारों प्यार हो गया।।
सजाने लगा हूँ अब मैं तो रंग बिरंगे सपने,
नाम उसका लगा हूँ साँस-साँस में जपने,
मुझे बचाओ उसके बिना मैं तो गया।
लगता है मुझे यारों प्यार हो गया।।
समुन्द्र सिंह पंवार - रोहतक (हरियाणा)