बिट्टू - नई दिल्ली
दम निकल रहा - कविता - बिट्टू
बुधवार, नवंबर 11, 2020
गर होती मुलाकात
सपनों में भी उनसे
फिर भी पहले जैसी
आती वो देर हमसे।
मेरी जिंदगी मानो
यूँ कट रही आज कल
क़त्ल कोई कर जाये
तो इन्ज़ाम तुम्हारे दम तक।
किसी का ऑफिस तो
किसी का कोई और काम
मेरा तो नसीब ऐसा जो
बस तुमसे ही रहता बदनाम।
एक बोतल छोड़ी थी
मैंने उसके होंटो से छुई
दम निकल रहा मेरा
लाकर देते कोई।
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