चाक-चौबंद भैया कर्फ्यू में - कविता - रमन कुमार श्रीवास्तव


भोर उठो और छत पे जाओ
योग करो और रोग भगाओ
दातुन करो और चाय बनाओ
खुद पियो और बीबी को पिलाओ

खुद को करो बन्द भैया कर्फ्यू में
फिर नाश्ते में तुम हाथ बटाओ
प्यार का उसमे छौंक लगाओ
धनियाँ तोड़ो व प्याज कटाओ
साथ साथ अब पोहे खाओ

छोड़ो सब दंड फंड भैया कर्फ्यू में
रहो चाक-चौबंद भैया कर्फ्यू में
खाना खाओ भीतर टहलो
बीबी और बच्चों को झेलो
अपना सारा ज्ञान उड़ेलो
शाम ढले एक दिप जलाओ
संध्या पूजा और भजन गाओ।


रमन कुमार श्रीवास्तव

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