बन प्रसून खुशबू बिखरा दो,
पुष्प हृदय सी विशालता।
तालमेल काटो संग सीखो,
मधुबन जैसी उदारता।
पुष्प सिखाता परिवर्तन को,
यही पुष्प की महानता।
प्रेम सिखाता त्याग सिखाता,
बनकर जग की सुंदरता।
पुष्पों के हैं कार्य निराले,
सुख दुख में यह साथ निभाता।
मृत शैया पर ये बिछ जाता,
यह सुहाग की सेज सजाता।
दुल्हन का गजरा बन जाता,
देवों के सिर भक्त चढाता।
राष्ट्र पताका में जा बंधता
औषधियां तक यह बन जाता।
यह परिवर्तन का द्योतक है,
जीवन का संदेश सुनाता।
राग सुनाता गीत सुनाता,
बिखरा जग में सुंदरता।
सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)