कुछ ऐसा कर लो - कविता - सन्तोष ताकर "खाखी"

कुछ ऐसा कर लो,
अपनी बाहों से लगा लो, 
कश लो कुछ पल ऐसे,
अपने सीने की धड़कन सुना दो।

मुझे कुछ इस तरह अपना लो,
खो जाने दो साँसों में अपनी,
धड़कते हुए इस दिल का हिस्सा बना लो,
हो सकते हो मेरे तो चूम लो रग रग को,
नहीं तो एक किस्सा ही बना लो।

कुछ ही पल गुज़रे हैं अभी,
एक गहरा सा घाव मिला है,
जिंदगी ना देना बस थोड़ा सा मरहम लगा दो।
मेरे दर्द को खुद से बांट लो,
थोड़ी सी खुशियों का दीपक जला दो,
कुटुंब नहीं सारा, बस थोड़ा सा सुकून चाहिए 
दिल में नहीं तो ख्यालों में बैठा लो,
आँख का पानी नहीं तो एहसास बना लो।

इती सी मोहब्बत बना लो,
फूल सी जिंदगी का भंवरा बना लो,
जब भी चमको चाँद से तुम,
उसकी चहकती चाँदनी बना लो,
थाम लो जड़ तक इस रूह को,
सफ़र कुछ पल का बना लो,
हो सके इश्क़ पूरा तो,
जिंदगी का हमसफ़र बना लो।। 
कुछ ऐसा कर लो...

सन्तोष ताकर "खाखी" - जयपुर (राजस्थान)

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