संदेश
हम भारतीय सैनिक - कविता - प्रदीप कुमार बाजिया "दीप"
हम भारतीय सैनिक हैं दिलों से कहां जायेंगे, आपकी आंखों में तारे बनके यूं ही झिलमिलाएगे। यह धरती, आसमां, देश यहीं पर समाएंगे, आपकी याद …
भाग दौड़ जग में मची - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
भागदौड़ जग में मची, चाह हृदय सिरमोर । लगा रहे तरकीब सब, छल प्रपंच हर ओर।।१।। चाहत की सीमा नहीं, मचता भागमभाग। कहाँ किधर किसके लिए, प्रल…
सफलता यूँ ही नहीं - कविता - श्याम "राज"
सफलता यूँ ही नहीं मिलती कदम बढ़ाता रह तू राह आसान नहीं पर आगे बढ़ता रह तू आज नहीं तो क्या कल सब तेरे साथ होंगे इस मिट्टी पर तेरे भी…
मेरे देश का मजदूर - कविता - हरिराम मीणा
मजदूरों की ताकत जानो, उनकी शक्ति को पहचानो। तुम खाते हो बिरयानी, वह क्या जाने पकवान को।। मत भूलो उनके वादे, वह होते हैं सीधे-साधे। खुद…
सफलता का मूल मंत्र - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
भारत के प्रधानमंत्री एवं प्रसिद्ध साहित्यकार स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेई जी की पंक्तियां याद आ गयीं "छोटे मन से कोई बड़ा नही…
हे किसान - कविता - अनिल भूषण मिश्र
हे अन्नदाता हे किसान हो जग में आप सबसे महान नहीं कोई भूषण आप समान।। सुबह दोपहर या शाम करते नहीं कभी आराम हर वक़्त हाथ लगा रहता कोई काम।…
नवोदित युवा शक्ति - कविता - देवासी जगदीश
सौंप दो भार अब हम युवाओं पर, कभी आँच न आने देंगे इस वतन पर, नई-सी सोच नया-सा यह मुल्क होगा, जहां के हर क्षेत्र में मेरा भारतीय होगा।। …
सब चलता है - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
एक नेता ने मुझसे कहा लिख दो झूठी हाजिरी कम हाजिरी पर तुम्हे नोटिस मिलेगा और मुझे गेंहू व दाम काम मिलेगा। मैंने कहा गलत हाजिरी देना अपर…
वासना विधिलेख का उपहार है - कविता - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
वासना विधिलेख का उपहार है, चारुतम नवसृष्टि का आधार है। आश्रम व्यवस्था का सोपान समझो, चिर मानव जाति का पुरुषार्थ है। व…
बिहार है विकास चाहिए - कविता - मो. जमील
यह बिहार है न कि कोई ताल तलैया, ऐसा प्रतीत होता है, बिहार में विकास नहीं सिर्फ, कमल पुहुप और बाण ही दिखते हैं, बाण का जमाना अब तो …
मिट्टी के घड़े - ग़ज़ल - ममता शर्मा "अंचल"
जान लो तुम ये, वही लोग बड़े होते हैं साथ अपनों के जो मुश्किल में खड़े होते हैं पेश आते हैं बुजुर्गों से जो इज़्ज़त के साथ हो कभी भूल तो पा…
दिवाली - कविता - नूरफातिमा खातून "नूरी"
मन के अंधेरे को मिटा लेना, दिवाली में ज्ञान का दीप जला लेना। करना पूजा, अर्चना लगन से, हो सके तो निकाल देना ईर्ष्या मन से। मानवता रूपी…
ख्वाहिशें - ग़ज़ल - डॉ. यासमीन मूमल "यास्मीं"
ख़्वाहिशें अपने हाथ मलती हैं। कुछ तमन्नाएं ख़ुद को छलती हैं।। रातरानी से जो निकलती हैं। खुशबुएँ रात भर टहलती हैं।। नेकियां और बदी की परछ…
कशिश महताब जैसी - कविता - अतुल पाठक "धैर्य"
कशिश तेरी महताब जैसी, महताब में नज़र तू आने लगी। इश्क और मुश्क तुझसे दीवाना तेरा, दिल की गली प्यार की इक कली लगाने लगी। संग तू है तो औ…
गुमशुदा आलू और प्याज - व्यंग्य कथा - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
कहाँ हो आलू? यह सवाल अब चारों और जंगल में आग की भांति फैल रहा है। आलू की ऐसी ढूनईय्या मची है कि आलू ना हो कोई सोने का जेवर हो। भाई आलू…
प्यार - कविता - वरुण "विमला"
इसकी जड़ें दबी रहती हैं ज़मीन के अथाह में और लुप्त रहती हैं क्षितिज में बिना जमीन, हवा, पानी के आसमान में। कठोर पत्थर का ह्दय चीर कर नफ़…
भूख मरने का इन्तज़ार करते हैं - कविता - सूर्य मणि दूबे "सूर्य"
तुम इन्तजार भूख लगने का करते हो और वो भूख मरने का इन्तज़ार करते हैं गरीबी इक गुनाह है, वो ऐतबार करते हैं भूखी माँ दूध पिलाती बन हड्डी क…
किसान का दर्द - मुक्तक - संजय राजभर "समित"
यह स्वेद सिंचित अनाज के दाने हैं। क्षुधा तृप्ति का यही मान्य पैमाने हैं। किसान की पीड़ा भला कौन सुना है इस बात पर नेता बड़े सयाने…
पहचान मुझे मैं कौन हूँ - कविता - सुगन
सदियों से मैं मौन हूँ , पहचान मुझे मैं कौन हूँ । लक्ष्मी हूँ पार्वती भी हूँ , अन्नपूर्णा भी तो मैं ही हूँ । शिव के अर्धांग में समायी …
भोर हुई वो घर से निकला - कविता - आर एस आघात
भोर हुई वो घर से निकला, जग सारा जब सोया था। तन उसके दो गज का गमछा, शिक़वे न किसी से करता था। सुबह से लेकर दो पहर तक, रहता वो खलियानों…
आबोहवा - कविता - अन्जनी अग्रवाल "ओजस्वी"
ये कैसी आज आबोहवा चली। जिंदगी को ले चली उस गली।। किनारा जहाँ मिलता नही। दरिया जहाँ टहलता नही।। फूल भी जहां खिलता नही। इंसान में अब इंस…
रेल यात्री - कविता - प्रेम राम मेघवाल
रेल में सफर करने वाले ऐ यात्री बेशक सफर का तू मजा ले। पर ना कर तू तंग रेल कर्मचारी को नहीं ही तू उन्हें सजा दे। तू दीवाली मनाए घरों म…
मेरी चाहत - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
क्या कहूँ? शब्द जैसे खो गये हैं लगता है ऐसे जैसे तुम्हारे प्यार की बंदिशों में सो गये हैं। तुम्हारी तारीफों के लिए शब्द कहाँ से लाऊँ?…
मुहब्बत ना रही - कविता - भागचन्द मीणा
सड़क ना रही वो गली ना रही। फिजाओं में वो खुशबू ना रही। जाइए ढूंढिए उस मुहब्बत को जो अब उस मुहल्ले में ना रही।। सपने बाकी है अब हकीक़त …
करवा चौथ का चाँद - कविता - अन्जनी अग्रवाल "ओजस्वी"
आ गया करवा चौथ का चाँद बढ़ा रहा सुहागनों की मुस्कान। देख चेहरे की मधुर मधुर मुस्कान चाँद भी हो विभोर छुपता जा रहा। हो मस्त सृष्टि श्रृं…
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