दिवाली - कविता - नूरफातिमा खातून "नूरी"

मन के अंधेरे को मिटा लेना,
दिवाली में ज्ञान का दीप जला लेना।

करना पूजा, अर्चना लगन से,
हो सके तो निकाल देना ईर्ष्या मन से।

मानवता रूपी कली खिला लेना,
दिवाली में ज्ञान का दीप जला लेना।

थोड़े देर के लिए दिया सा जल जाना,
मोह माया से क्षण भर निकल जाना।

आत्मा को परमात्मा से मिला लेना,
दिवाली में ज्ञान का दीप जला लेना।

मर्यादा पुरुषोत्तम राम का त्याग याद करना,
अपनों की जिम्मेदारी से ना खुद को आजाद करना।

देश वासियों की सारी बला लेना,
दिवाली में ज्ञान का दीप जला लेना।

पर्यावरण पर एक बार सोचना,
धुआंधार पटाखे अब ना फोड़ना।

इस बात पर ध्यान टिका लेना,
दिवाली में ज्ञान का दीप जला लेना।

नूरफातिमा खातून "नूरी" - कुशीनगर (उत्तर प्रदेश)

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