संदेश
मुझको जग में आने दो माँ - कविता - अजय कुमार 'अजेय'
मुझको जग में आने दो माँ, यूँ मत मुझको जाने दो माँ। सदा तुझे आभार कहूँगी, माँ तुझसे मैं प्यार करूँगी। माँ तेरी हूँ मैं लाड़ो प्यारी, बन…
तुलसीदास सच-सच बतलाना! - कविता - राघवेंद्र सिंह
हे कवि शिरोमणि तुलसीदास! हे राम चरित के सृजनकार! कर जोड़ विनय करता तुमसे, जिज्ञासु मन लिए प्रश्नहार। लिख रघुवर का वह बाल्यकाल, जब लिखा…
मुस्कान से भरी - नवगीत - अविनाश ब्यौहार
खेत में फ़सल है मुस्कान से भरी। ख़्यालों के क़ाफ़िले हैं रुके हुए। बरगद के कंधे लगता झुके हुए॥ फ़सलों की साड़ी लगती हरी-हरी। नन्हे-नन्हे हा…
नव वर्ष मंगलमय हो - कविता - प्रवीन 'पथिक'
प्रेमियों के आहत को, हर दिलों के चाहत को। नव वर्ष मंगलमय हो!! खेतों में किसानों को, सीमा पे जवानों को। दिल के दिलदार को, और सभी दीवानो…
ख़ुद से मुलाक़ात - नवगीत - सुशील शर्मा
ख़ुद से मुलाक़ात चलो करें आज। अकेले-अकेले बहुत दिन बीते। रिश्तों के बस्ते कुछ भरे रीते। चलो आज गाएँ वासंती साज। गाँवों के पनघट सब लगें स…
परिवार की क़ीमत - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
हैं कपड़े मेरे पास नहीं, पर सर्दी पास नहीं आती। मेरा परिवार बहुत प्यारा, वो प्यार देखकर भग जाती। मैं नन्हा बच्चा मम्मी का, ख़ुद अपने का…
अप्प दीपो भवः - कविता - संजय राजभर 'समित'
छोटी सी है ज़िंदगी सूझबूझ से चल बेतहाशा मत भाग किसी के पीछे पता चला वो अँधेरे में था तू भी– धार्मिक सच जो कल तक सच था उसे विज्ञान आज झू…
नर से नारायण - कविता - मयंक द्विवेदी
मानव और भगवन के, द्वन्द में जब मन घिर आता है। पौरुष और पुरुषार्थ पर जब विस्मय हो जाता है। पुरुष और पुरुषोत्तम में, जब प्रश्नचिन्ह लग ज…
वे बच्चे - कविता - सोनू यादव
वे बच्चे जिन्हें मैं दूर से ही देख रहा हूँ एक टक अपनी झिलमिलाती आँखों से, अपने ही घर के सामने बाग़ के एक पेड़ की टहनियों पर चढ़ते औ’ फ…
बातों-बातों में - कविता - प्रवीन 'पथिक'
बात भी क्या है! कुत्ते की टेढ़ी पूँछ। या कहूँ कि कुंडली मारे किसी सर्प का दंश। जिसका विष शरीर में नहीं; अंतः में फैलता है। और वह व्यक्…
मंज़िल पर हूँ - नज़्म - सुनील खेड़ीवाल 'सुराज'
मंज़िल पर हूँ, पैरो को अब और चलने की ज़रूरत ना रही, दिल में इस तरह से बसे हो कि मन्दिर में तेरी मूरत ना रही। फ़लक़, पंछी, ये ख़ामोश कहकशाँ,…
ग़लतियों को समझ पाना - गीत - उमेश यादव
सुधरने को मन मचलना, साहस कहलात है। ग़लतियों को समझ पाना, हौसले की बात है॥ ग़लतियों से सीख लेना, श्रेष्ठतम सदज्ञान है। ग़लतियों से हारते…
याद आते हो तुम - गीत - सूरज 'उजाला'
याद आते हो तुम, याद आते हो तुम जब कभी आँख से दूर जाते हो तुम व्हाट्सएप पे वो एसएमएस जो देखा सबा कुछ तो लिखते हो और फिर मिटाते हो तुम म…
बेटी - कविता - महेन्द्र सिंह कटारिया
बेटी युग के नए दौर में, भूमिका निज निभा रहीं हैं। छूकर बुलंदियों की ऊँचाई, मान-सम्मान सब पा रहीं हैं। ज्ञान-विज्ञान प्रौद्योगिकी सहित,…
सफलता मार्ग - कविता - भजन लाल हंस बघेल
सफलता मार्ग है बड़ा रंगीन। वीराने और बहार का सुंदर सीन। अपने काम में सदा रहो लीन। बनो अर्जुन, लक्ष्य साधो, मारो मीन! सफलता मार्ग में आ…
अजनबी सहेली - लघुकथा - नृपेंद्र शर्मा 'सागर'
जब संजना की आँख खुली तो उसने ख़ुद को एक अनजान कमरे में बिस्तर पर पड़े पाया, उसने हिलने की कोशिश की तो उसे महसूस हुआ कि उसके सारे शरीर मे…
सभी सुखी चहुँ मुख प्रगति - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
मानव जीवन चिर प्रगति, ग्रन्थ सनातन वेद। ज्ञान कर्म परहित जगत, शान्ति प्रेम संवेद॥ ज़िम्मेदारी सभी की, जन भारत उत्थान। प्रगतिशील आगम …
गदेहड़ी - कविता - डॉ॰ अबू होरैरा
गदेहड़ी वह है प्रतीक गाली का प्रतीक अनपढ़ का प्रतीक ग़रीबी का पिछड़ों से भी पिछड़ा ग़रीबों से भी ग़रीब, दरिद्र पर है वह भी इंसान ही और उससे भ…
नई किरणों के विरुद्ध - कविता - सुरेन्द्र प्रजापति
प्रकाश की रजत उज्ज्वला का दीप्त आवरण तुम्हारे विश्वास को थपकी दे रहा है मन की तरंग के आनंद खड़े हैं परिचित मार्ग प्रातः कोमलता की नई कि…
भाव हमारे - गीत - प्रमोद कुमार
उठे जो मन में तुम्हारी ख़ातिर, सदा पवित्र थे भाव हमारे। ना जाने कैसे सहा था हमने, अक्खड़पन भरे ताव तुम्हारे। जीवन पथ पर है कैसे चलना, क़…
गाँव का विद्यालय - कविता - विनय विश्वा
निगाहें देखती है गाँव की ओर हाँ वहीं गाँव जहाँ प्रेम की नाव चलती है जिस नाव के खेवनहार किसान, मज़दूर, गँवार हैं जो अपने लाल को ढाल बनान…
रचयिता - कविता - मयंक द्विवेदी
पटल दृष्टि चाँद तारों जिस प्रभु को पढ़ लिया, सृष्टि के रचयिता ने कण-कण से जग गढ़ लिया। प्रचण्ड भास्कर किरन है तो चन्द्र शीतल है बना, कही…
जिया ही नहीं - कविता - प्रवीन 'पथिक'
ज़िंदगी में बहुत कुछ मिल सकता था, लिया ही नहीं! चाहता था खुल कर जीऊँ, पर जिया ही नहीं। घुट-घुट कर जीता रहा, इच्छाओं को दबा के। कोई मिल…
प्रशिक्षण - कविता - विक्रांत कुमार
लंबी क़तारें योगा का अभ्यास कमरे की कश्मकश कक्षाओं में पाठयचर्या संबोधन द्रोणाचार्य-एकलव्य संवाद सा आवरण आत्मसंघर्ष और अध्यात्म की …
हर तरफ़ रंज है आलाम है तन्हाई है - ग़ज़ल - अरशद रसूल
अरकान : फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन तक़ती : 2122 1122 1122 22 हर तरफ़ रंज है, आलाम है, तन्हाई है, ज़िंदगी आज तू किस मोड़ पे ले आई ह…
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