याद आते हो तुम, याद आते हो तुम
जब कभी आँख से दूर जाते हो तुम
व्हाट्सएप पे वो एसएमएस जो देखा सबा
कुछ तो लिखते हो और फिर मिटाते हो तुम
मैंने पहली दफ़ा जो लिखा था तुम्हे
गीत अब भी वही गुनगुनाते हो तुम
फ़ोन पे आजकल बस हेलो हेलो है
कुछ तो कहना है जो कह न पाते हो तुम
मैं तो तन्हा अकेला हूँ इस भीड़ में
और वहा महफ़िलें लूट जाते हो तुम
सूरज 'उजाला' - दिल्ली