बेटी - कविता - महेन्द्र सिंह कटारिया

बेटी - कविता - महेन्द्र सिंह कटारिया | Hindi Kavita - Beti - Mahendra Singh Katariya | बेटियों पर कविता, Hindi Poem On Daughters
बेटी युग के नए दौर में,
भूमिका निज निभा रहीं हैं।
छूकर बुलंदियों की ऊँचाई,
मान-सम्मान सब पा रहीं हैं।

ज्ञान-विज्ञान प्रौद्योगिकी सहित,
देती चिकित्सा सेवा में योगदान।
कर विभिन्न संगठनों का नेतृत्व,
बढ़ाया राजकीय सेवा में रूझान।
जुड़ कला-साहित्य कारोबार से,
समाज अर्पिता ने लाया बदलाव।
हृदय सँजोए सपनों के ख़ातिर,
किया कठिन मेहनत से लगाव।
सीमा की चौकस पहरेदारी में,
स्वहाथों में ले हथियार खड़ी हैं।

नारी सशक्तिकरण के माध्यम से,
क़दम समानता की ओर बढ़ा रही।
आपसी समरसता को दे बढ़ावा,
भेदभाव वर्ग लिंग का मिटा रही।
समाज सुधार और न्याय दिशा में,
कर रही सहभागिता से समाधान।
हर क्षेत्र में नर-नारी एक समान,
भारतीय न्यायिक यही प्रावधान।
हरदम जोश जुनून जज़्बे के साथ,
लक्ष्य अपना साधने को अड़ी है।

महेंद्र सिंह कटारिया - नीमकाथाना (राजस्थान)

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