मुझको जग में आने दो माँ - कविता - अजय कुमार 'अजेय'
शुक्रवार, दिसंबर 29, 2023
मुझको जग में आने दो माँ,
यूँ मत मुझको जाने दो माँ।
सदा तुझे आभार कहूँगी,
माँ तुझसे मैं प्यार करूँगी।
माँ तेरी हूँ मैं लाड़ो प्यारी,
बनूँगी सारे जग में न्यारी॥
मुझे जन्म दो, मुझे जन्म दो...
मैं हूँ जीवित अंश तिहारा,
मैं भी हूँ तेरा वंश सहारा।
बदला समय बताना होगा,
पापा को समझाना होगा।
बिगड़ गया अनुपात जताना,
जनसांख्यिक हालात बताना।
अगर न माने फिर भी पापा,
मैं उनसे मनुहार करूँगी।
जीवन भर आभार कहूँगी॥
मुझे जन्म दो, मुझे जन्म दो...
लक्ष्मीबाई या मदर टेरेसा,
क्या कोई बन पाया वैसा।
केवल ना एक धाय थी पन्ना,
ममता का अध्याय थी अन्ना।
ज़रा बता दो प्यारी अम्मा,
दादी को समझाओ मम्मा।
सब गुण अंगीकार करूँगी,
जीवन भर उपकार करूँगी।।
मुझे जन्म दो, मुझे जन्म दो...
मैं अंतरिक्ष में खोज करूँगी,
एक नया इतिहास लिखूँगी।
जो जो बेटे कर नहीं पाएँ,
वो वो विरले काम करूँगी।
नाम से तेरे जानी जाऊँ,
ऐसा बारम्बार चाहूँगी।
माँ तुझसे मैं प्यार करूँगी,
मैं भी तेरे जिगर का टुकड़ा,
अपना दूध पिला दो हे माँ।
यूँ मुझको मत जाने दो माँ॥
मुझे जन्म दो, मुझे जन्म दो...
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