नव वर्ष मंगलमय हो - कविता - प्रवीन 'पथिक'

नव वर्ष मंगलमय हो - कविता - प्रवीन 'पथिक' | New Year Kavita - Nav Varsh Mangalmay Ho - Praveen Pathik. नववर्ष पर कविता
प्रेमियों के आहत को,
हर दिलों के चाहत को।
नव वर्ष मंगलमय हो!!
खेतों में किसानों को,
सीमा पे जवानों को।
दिल के दिलदार को,
और सभी दीवानों को।
नव वर्ष मंगलमय हो!!
घर की दीवारों को,
बिजली के तारो को।
खिड़की को, ऑंगन को,
प्यार में हारो को।
नव वर्ष मंगलमय हो!!
इस बदलते मौसम को,
और हवा के चाल को।
रोते को, हँसते को,
जीवन के जंजाल को।
नव वर्ष मंगलमय हो!!
इस जलती शम्मा को,
छलकते हुए जाम को।
सूरज की सुबहों को,
चंदा की शाम को।
नव वर्ष मंगलमय हो!!
इस लंबी सड़कों को,
जलते मशाल को।
प्रेमी के रूप को,
प्रेमिका के बाल को।
नव वर्ष मंगलमय हो!!
उमड़ी घटाओं को, बहती हवाओं को,
रंगत में रंगी इन महकी फ़िज़ाओं को।
जीवन की ख़ुशियों को,
और मिलती सज़ाओं को।
नव वर्ष मंगलमय हो!!
शायर के ग़ज़लों को,
कवियों की कविता को।
लेखनी को, पन्नों को,
बहती इस सरिता को।
नव वर्ष मंगलमय हो!!
सोने और चाँदी के,
बढ़ते हुए भाव को।
पथिक के पथ को,
आँचल के छाॅंव को।
नव वर्ष मंगलमय हो!!


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