हर तरफ़ रंज है आलाम है तन्हाई है - ग़ज़ल - अरशद रसूल

हर तरफ़ रंज है आलाम है तन्हाई है  - ग़ज़ल - अरशद रसूल | Ghazal - Har Taraf Ranj Hai Aalam Hai Tanhaai Hai - Arshad Rasool
अरकान : फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन
तक़ती : 2122  1122  1122  22

हर तरफ़ रंज है, आलाम है, तन्हाई है, 
ज़िंदगी आज तू किस मोड़ पे ले आई है। 

क़त्ल करने की मुझे जिसने क़सम खाई है,
वो कोई ग़ैर नहीं मेरा सगा भाई है। 

हसरतें हिज्र में दम तोड़ रही थीं अपना, 
फिर दवा बन के कोई याद चली आई है। 

लोग अख़बार में छपने को मदद करते हैं, 
एक से बढ़ के यहाँ एक तमाशाई है। 

वक़्त के साथ बदल जाए यह इमकान नहीं, 
हमने पहचान यह मुश्किल से बना पाई है। 

तेरी आँखों की नमी से यह अयाँ होता है, 
ग़ालिबन दिल की कोई चोट उभर आई है। 

हक़ परस्ती जहाँ दम तोड़ रही है 'अरशद', 
मैंने उस दौर में जीने की क़सम खाई है। 

अरशद रसूल - बदायूं (उत्तर प्रदेश)

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