विनय विश्वा - कैमूर, भभुआ (बिहार)
गाँव का विद्यालय - कविता - विनय विश्वा
शनिवार, दिसंबर 16, 2023
निगाहें देखती है
गाँव की ओर हाँ वहीं गाँव जहाँ प्रेम की नाव चलती है
जिस नाव के खेवनहार किसान, मज़दूर, गँवार हैं
जो अपने लाल को ढाल बनाने भेजते हैं गाँव के स्कूल।
गाँव का विद्यालय जीवन की पहली पाठशाला है
जो अब उत्पादशाला हो गई है
इंस्पेक्शन की, काग़ज़ पर थोपा हुआ परीक्षा की जो विचारों को परिक्षा में लिए जा रही हैं।
वहीं गाँव जहाँ सुनहरे ईमानदार विचार हैं जो साहित्य का आधार है - प्रेमचंद, नामवर, केदार, त्रिलोचन, धूमिल, गोलेंद्र
पुराने, नए, तुम और मैं सरीखे ज्ञान है जो मानवता का आधार है
आज मानवता की एक कुंडी फँस गई है जो लीलने के लिए आतुर है
शहर की चाकचौबंद की तरह
जहाँ विष ही विष घुली है मानव को दानव बनाने के लिए।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर