सुधरने को मन मचलना, साहस कहलात है।
ग़लतियों को समझ पाना, हौसले की बात है॥
ग़लतियों से सीख लेना, श्रेष्ठतम सदज्ञान है।
ग़लतियों से हारते जो, बुज़दिल इंसान है॥
ग़लतियाँ गर हो गई तो, दंड पश्चाताप है।
ग़लतियों को समझ पाना, हौसले की बात है॥
दूसरों की ग़लतियों को, माफ़ करना चाहिए।
ग़लतियाँ आदत बने, इंसाफ़ करना चाहिए॥
ग़लतियों पर ग़लतियाँ हो, यही महापाप है।
ग़लतियों को समझ पाना, हौसले की बात है॥
ग़लतियों की आदत तो, कभी मत लगाईए।
दुर्गुणों की पोटली को, ख़ुद से दूर भगाइए॥
ग़लतियों में फँस गए तो, पाएँगे संघात है।
ग़लतियों को समझ पाना, हौसले की बात है॥
किए ग़लती को सदा, ह्रदय से स्वीकार लें।
जो भी उचित दंड हो, स्वयं अंगीकार लें॥
मनुज हैं तो ग़लतियाँ भी, अक्सर हो जात है।
ग़लतियों को समझ पाना, हौसले की बात है॥
ग़लतियाँ करके सुधरते, सही वह इंसान है।
ग़लतियों पर ग़लती करते, वही तो हैवान है॥
ग़लतियाँ नर न करें तो, ईश्वर बन जात है।
ग़लतियों को समझ पाना, हौसले की बात है॥
लोग जल्दी त्रुटियाँ, स्वीकारते नहीं हैं।
स्वीकार कर सुधार ले, विचारते नहीं है॥
दोष दर्शन दूसरों में, समय क्यों गंवात है।
ग़लतियों को समझ पाना, हौसले की बात है॥
ग़लतियों पर वश न होता, पर उससे ज्ञान लो।
असफल होकर सीखने का, मंत्र को तू जान लो॥
एक अवगुण पर हमारे, गुण सब बिसरात है।
ग़लतियों को समझ पाना, हौसले की बात है॥
ग़लतियाँ हो जाए तो, कभी न घबराइए।
सीख देती है अनोखी, इसे न छुपाइए॥
दोष अपने से लड़े जो, शूरवीर कहलात है।
ग़लतियों को समझ पाना, हौसले की बात है॥