श्याम नंदन पाण्डेय - मनकापुर, गोंडा (उत्तर प्रदेश)
यात्रा और यात्रा का महत्व - यात्रा वृतांत - श्याम नन्दन पाण्डेय
मंगलवार, जुलाई 01, 2025
कहते जीवन एक यात्रा है और जन्म से मृत्यु के बीच जीव यात्राएँ ही करता रहता है।
अगर राजकुमार सिद्धार्थ यात्रा या नगर भ्रमण पर न निकलते तो गौतम बुद्ध न बनते, शांति और सत्य की खोज न कर पाते, जीवन को न समझ पाते और ईश्वर के तुल्य न होते।
श्रीराम यात्रा न करते, वनवास न भोगते, उत्तर से से दक्षिण तक न जाते तो भगवान श्री राम न हो पाते, असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की विजय यात्रा है न हो पाती
क्रिस्टोफर कोलंबस, मार्को पोलो, इब्न बतूता, ह्वेन त्सांग, राहुल सांस्कृतायन और आर्म स्ट्रांग जैसे लोग यात्राएँ न करते तो दुनिया ठहरी और गुमनाम सी रहती।
यात्राएँ और भ्रमण सिर्फ़ एक जगह से दूसरी जगह जाने की ही क्रिया नहीं है बल्कि एक बड़ा अनुभव है व सीखने की प्रक्रिया है और संस्कृत और सभ्यता के आदान प्रदान का मज़बूत माध्यम है।
यात्राएँ आप को कष्ट झेलना सामंजस स्थापित करना सिखाती है। आप को कुएँ के मेढक से समुन्द्र का बड़ा तैराक बनाती है। यात्राओं से आप बच नहीं सकते, यात्रा जीवन का हिस्सा है, यात्रा ही जीवन है। जैसे जैसे आप यात्रा करते जाएँगे जीवन को और नज़दीक से देख पाएँगे अधिक समझदार और मज़बूत बनेंगे।
इसलिए जीवन के हर यात्रा का आनंद लें।
यात्राएँ जीवन में अलग-अलग स्थानों की परम्पराओं और सभ्यता के आदान प्रदान की बहुत बड़ी श्रोत हैं।
मेरी दक्षिण और उत्तर पूर्वी राज्यों की यात्रा विभिन्न त्योहारों और आयोजनों का महत्व:
ग्रामीण परिवेश के होने की वजह से और भारतीय संस्कृति और परंपराओं मे रूचि की वजह से हमेशा से देश की विविधता (Diversification) और एकरूपता को अनुभव करने और उसे जीने के लिए उत्सुक रहा और वर्ष 2012 से कृषि क्षेत्र मे कार्यरत होने की वजह से देश के लगभग सभी प्रदेशों के ग्रामीण और और पिछड़े क्षेत्रों में जाने का बहुत अवसर मिला। वहाँ के किसानों व गाँव वासियों से घुलने मिलने और अच्छे सम्बन्ध बनाकर साथ काम करने का जो सुखद और ज्ञान वर्धक अनुभव मिला जीवन सार्थक सा बन गया।
हमारी संस्कृति और परम्परा हमारे त्योहारों में समाई हुई हैं। यात्रा में यदि हर जगह के त्योहारों और अन्य आयोजनों में शामिल होते है तो बहुत सीखने और समझने को मिलता है।
भारत के दक्षिणी राज्यों के त्यौहार, पर्व और विवाह व अन्य अवसरों में सम्मलित होने और वहाँ के खान-पान को अपनाकर सालों तक उन्हीं की तरह जीना बहुत ही जीवंत अनुभव है। केरल का रंगों और रंगोलियों का त्यौहार ओणम जो राजा महाबली के वार्षिक आगमन का जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है।
समृद्धि और प्रचूरता का प्रतीक फ़सलों का उत्सव पोंगल, तमिलनाडु के प्रमुख त्यौहार है जो नव जीवन के शुरुआत के रूप में मनाया जाता है।
आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटका का प्रमुख त्यौहार उगादी नए वर्ष और नए जीवन के शुरुआत के रूप में मनाया जाता है।
वहीं द्रोपदी के सतित्व और शक्ति रूप को समर्पित कर्नाटक का त्यौहार करागा प्राचीन त्योहारों में से एक है तो बंगाल और मैसूर का दशहरा विजय और स्त्री के शक्ति रूप की गूँज और शंखनाद है जो उत्तर और पूर्व पश्चिम राज्यों के होली, दिवाली दशहरा, खिचड़ी और लोहड़ी का ही रूप है।
भाषा, व्यवहार और सांस्कृतिक आदान प्रदान:
कहते हैं "कोस-कोस पर बदले पानी, चार कोस पे वानी।"
उत्तर प्रदेश के हिंदी भाषी होने की वजह से दक्षिणी राज्यों की भाषा न समझते हुए भी उनके बीच में रहना, काम करना, वहाँ के विभिन्न आयोजनों में हिस्सा लेना ये सिखाता है कि भाषा संवाद का अभिन्न अंग ज़रूर है पर व्यवहार संवाद में भाषा की समझ को पीछे छोड़ सम्बन्ध को मज़बूत बनाती है। इसी प्रकार उत्तर पूर्वी (Northeast) राज्यों के ग्रामीण परिवेश मे रहकर कार्य करने का भी अवसर मिला। नागालैंड वर्तमान 16 जिलों में जाने, रहने और वहाँ के खान-पान का अनुभव लिया। किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम और मार्केट लिंकेज के माध्यम से किसानों और ग्रामीणों से मिलने, उनसे बातचीत करने और उनके साथ समय बिताने का मौक़ा किसी के लिए भी किसी एडवेंचर से कम नहीं। आज के लगभग दस-बारह वर्ष पूर्व देश के उत्तर पूर्व राज्यों में बसों और रेल की सुविधा बहुत कम होती थी, एक ज़िले से दूसरे ज़िले मे जाने के लिए दिन भर मे एक बस ही होती थी और वही अगले दिन वापस ले के आती थी। जब दूसरे ज़िले के गाँवों में जाना रहता था है तो रात गाँवों में ही गुज़ारनी पड़ती थी।
नागालैंड को लैंड ऑफ़ फेस्टिवल कहा जाता है जहाँ का प्रमुख त्यौहार हॉर्नबिल फेस्टिवल (Hornbill Festival) राज्य के समृद्धि और विविधता का प्रतीक है और ये नागालैंड जनजातीय परंपराओं को दर्शाता है। नागालैंड के मॉल्वोम गाँव का, मेघालय और केरल का अनानास (pineapple) दुनिया के सबसे अच्छे अनानास माने जाते है। नागालैंड के मॉल्वोम विलेज का अनानास महोत्सव में देश विदेश के लोग हिस्सा लेते हैं जहाँ बहुत कुछ जानने और सीखने को मिलता है।
असम राज्य का तीन रूपों में मनाया जाने वाला त्यौहार बिहू रोंगाली बिहू (बोहाग बिहू), कोंगाली बिहू (काटी बिहू), और भोगाली बिहू (माघ बिहू)। तीन अलग-अलग महीनो में कृषि की शुरुआत और संम्पन्नता को दर्शाता है।
मणिपुर का संगाई फेस्टिवल जो राज्य पशु दुर्लभ हिरण संगाई को श्रद्धांजलि देता है और राज्य की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करता है और मणिपुर के मैतई समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला प्रसिद्ध त्यौहार कंग फेस्टिवल उड़ीसा के जगनाथ पूरी रथ यात्रा के समान प्रमुख धार्मिक त्यौहार है।
बादलों का घर कहे जाने वाला राज्य जो दुनिया का सर्वाधिक वर्षा वाला क्षेत्र, सांस्कृतिक और प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर, पूर्व का स्कॉटलैंड कहा जाने वाला राज्य मेघालय में भारत के अन्य राज्यों के विपरीत ऐतिहासिक रूप से मातृवंशीय (मातृसत्ता) प्रणाली का पालन करता है जहाँ राजवंश और विरासत महिलाओं के माध्यम से पता लगाया जाता है।
वहीं सिक्किम भारत के सबसे साफ़ सुथरे राज्य और जैविक खेती मे प्रथम स्थान पर है।
साथ-साथ उगते सूर्य का पर्वत अरुणाचल प्रदेश जहाँ देश में सबसे पहले सूर्योदय होता है। सूरज की किरणे सबसे पहले इन्ही पहाड़ियों पर पड़ती हैं, वहीं पर स्तिथ डोंग गाँव सबसे पहले सूर्योदय को देखता है, मेरे यात्रा और कार्यक्षेत्र के अभिन्न अंग रहे।
यात्रा वृतांत मे मेरे यात्रा का उद्देश्य और अनुभव:
इन सभी राज्यों और स्थानों तक जाना, वहाँ रहना और वहाँ के खान-पान त्यौहार और समारोह के माध्यम से वहाँ की संस्कृति, सभ्यता, परंपरा और रीति रिवाज़ जानने का जो अवसर मिला वो किसी भी विश्वविद्यालय में पढ़कर व सीखकर जाना नहीं जा सकता और न ही इतनी गहराई से अनुभव कर सकते हैं।
ये यात्रा वृतांत इन जगहों पर जाने, पहुँचने से पहले रास्तों और सवारियों के अनुभवों पर है।
हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर की यात्रा और दुर्गम रास्ते और भी रोचक और चुनौतीपूर्ण रहे हैं।
देवभूमि कहे जाने वाले राज्य हिमाचल के सभी 12 ज़िलों में कई महीने और वर्षों तक रहने और अंतिम छोर तक जाने का मौक़ा मिला।
यात्रा इसलिए भी करनी चाहिए ताकि आप भूख प्यास और नींद की क़ीमत समझें, अलग-अलग तरह के लोगों से बात कर सकें और दुःख दर्द सुन सकें और सुना सकें। इन सब राज्यों उनके ज़िलों और गाँवों तक सफ़र ज़्यादातर रेलमार्ग से तय किए, कई बार हवाई यात्राएँ भी करनी पड़ी। जहाँ रेल सुविधाएँ न थीं वहाँ बसें और जहाँ बसें न थीं वहाँ टैक्सी और अन्य लोकल साधनों के माध्यम से पहुँच कर अपने काम को सफल करना, लोगों से मिलना, उन्हें IPM (Integreted Pest Management), जैविक और सतत ( Organic and Sustainable Farming) खेती के बारे में जानकारी देना, जागुरुक करना और प्रशिक्षण देने के साथ-साथ FPO, FPC (Farmer Producer Organization, Farmer Producer Company) और SHG (Self Help Group) का निर्माण और मार्केट लिंकेज कर उनके उद्देश्यों को सफल करने के लिए ग्रामीणों और किसानों से अच्छे सम्बन्ध स्थापित करना कार्य का ज़रूरी अंग है और इसी लिए वहाँ रहने, घुलने मिलने और समझने का अवसर मिला।
अच्छे बुरे सब तरह के लोग मिले। अच्छे लोग ज़्यादा मिले बुरे लोग कम।
रेल यात्राओ के दौरान जनरल, स्लीपर और AC कोचेस में यात्राएँ की। देश के समाज के उच्च वर्ग से निम्न वर्ग यानी हर वर्ग को क़रीब से देखा और महसूस किया। ज़्यादातर मध्यम और निम्न वर्ग के लोगों के बीच रहा और उनकी जीवनशैली जिया भी। ट्रेन सीट न होने पर ज़मीन पर बैठे, परिवार को देख कर बहुत दुःख होता पर उन्हें हो रही असुविधा के बावजूद हँसते और मुस्कुराते देखना एक सीख देता है कि यदि आप परिवार के साथ हो और आपस में प्रेम हो तो आप हर अवस्था मे सुखी हो।
भूख से बिलखते भी देखा, सब कुछ होते हुए भूखे और खाना बर्बाद करने वालों को भी देखा।
ईमानदारी से अपना और अपने परिवार के पालन पोषण करने वाले भी देखे और लूट और बेईमानी कर कमाने वाले भी देखे। दुनिया ऐसे ही चलती है सभी को बराबर संसाधन और अवसर नहीं मिलता। किसी किसी का जीवन सच मे संघर्षों से भरा है।
उस सफ़र में ट्रेन के फ़र्श पर बैठा परिवार ख़ुश था जब तक कि किसी को उस से दिक्कत न थी उसे वहाँ बैठने का शर्म और अफ़सोस न था पर जब अमीरी ग़रीबी की उलाहना करती है और मज़ाक बनाती है तक असमानता और कमी खलती है, विकराल लगती है। हम सब को अपनी सोच में बदलाव की ज़रूरत है। व्यक्ति कैसे भी कमा कर लाए उसके पैसे और अमीरी को सम्मान देते हैं वहीं मेहनत और ईमानदारी से कमाने वाले सामान्य व्यक्ति को कमतर आँकते हैं और उसे कमज़ोर और पिछड़ा दिखाने से नहीं चूकते।
अनेकता में एकता और हमारी संस्कृति और परम्पराओं को प्रदर्शित करने वाले त्योहारों को हमने अमीरी और दिखावे के चक्कर में इतना महँगा बना दिया है कि मध्यम और निम्न वर्ग उतना न कर पाने की वजह से त्यौहार का उत्साह और सुख खो बैठे।
निम्न वर्ग को कम से कम में गुज़र बसर करने में भी आंनद आता था अब वो अन्य लोगों के दिखावे और फ़िजूल ख़र्ची से वो सुख भी खो बैठे।
आगे बढ़ना, प्रगति करना बहुत अच्छी बात है पर अनावश्यक ख़र्च दिखावा और किसी के हिस्से के संसाधनों का उपभोग करना हमारे देश और समाज के लिए बहुत बुरा है, एक अभिशाप की तरह है।
आप अपने आस पास ग़रीब और कमज़ोर की मदद नहीं कर सकते उन्हें अपने बराबर नहीं बिठा सकते तो आप की अमीरी और बड़प्पन बेकार है।
यात्रा में हम ये सब देखते हैं और सीखते हैं। यात्रा हमारे अहंकार को मारती है, हमें इस उम्मीद से आगे बढ़ने प्रगति करने और सक्षम बनने को प्रेरित करती है कि हम देश के लिए, समाज और मानव सभ्यता के लिए कुछ अच्छा कर सकें।
झुठी शान, दिखावे और स्वार्थ से बचकर इंसानियत का पाठ पढ़ाती है यात्रा, हमें अनिश्चितता के सिद्धांत से अवगत कराकर सिखाती है कि कभी नाव गाड़ी पर कभी गाड़ी नाव पर।
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