लंबी क़तारें
योगा का अभ्यास
कमरे की कश्मकश
कक्षाओं में पाठयचर्या संबोधन
द्रोणाचार्य-एकलव्य संवाद सा आवरण
आत्मसंघर्ष और अध्यात्म की प्रस्तुति
स्थूल देह का आत्मीय कल्पवास
सब का जवाब एक ही है
आदमी सुनियोजित ढंग से जीवन भर प्रशिक्षण लेता है
ताउम्र प्रशिक्षु बने रह जाता है
पेट भरने की कला को ही आत्मसात करता है
विचारों के रंगीनियों में
मंझा लगे धागों से
पतंग से खेलते रह जाता है
खुले आकाश में युद्ध करता है
सुनसान समाज में प्रेम करता है
यह सब सदैव चलता रहेगा
आदमी सुनियोजित ढंग से
प्रशिक्षण सत्र में शामिल होते रहेंगे
यह सब अनवरत चलता रहेगा