संदेश
तुम्हारे बिना अधूरा हूँ - कहानी - अंकुर सिंह
"तलाक़ केस के नियमानुसार आप दोनों को सलाह दी जाती हैं कि एक बार काउंसलर से मिलकर आपसी मतभेद मिटाने की कोशिश करें।" तलाक़ केस क…
बेपरवाह शराबी - कविता - रंजीता क्षत्री
शराबी का क्या काम? गाली-गलौज और अपनों का जीना करे हराम। शराबी की हालत कैसी? बिल्कुल नासमझ... पागल जैसी। शराबी के पीठ पीछे सब छि-छि करत…
खोटा कवि हूँ मैं - कविता - गणेश भारद्वाज
मैं कोई फ़नकार नहीं हूँ, औरों की सरकार नहीं हूँ। लिख देता हूँ मन की पीड़ा बेदर्द कलमकार नहीं हूँ। पन्ने और सजाते होंगे, कलमी हार बना…
मन की उड़ान - कविता - प्रवल राणा 'प्रवल'
मिलन की उत्सुकता, मन हो रहा विकल। है निर्भर भाग्य पर, कामना होगी सफल।। आल्हाद है मन में, कुछ है विकलता। आशंका भी होती रही, छिपी न हो …
मालिक नहीं माली बने हम अगर - ग़ज़ल - नागेन्द्र नाथ गुप्ता
अरकान : मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन फ़ाइलुन तक़ती : 2212 2212 212 मालिक नहीं माली बने हम अगर, हर ताले की ताली बनें हम अगर। सूरज उगा तो, हो…
वजह हो तो बताए मुझको मुस्कुराने की - ग़ज़ल - एल॰ सी॰ जैदिया 'जैदि'
अरकान : मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ेलुन तक़ती : 1222 1222 1222 22 वजह हो तो बताए मुझको मुस्कुराने की, मिलती है मोल दुकान बताए किरान…
सैनिक - कविता - शीतल शैलेन्द्र 'देवयानी'
तीन रंगों में लिपटा सम्मान मिला मुझे शहादत पे, तिरंगे का सम्मान कफ़न जो मिला देश की इबादत पे। जब सुना संदेश शहीदी थम गया स्वर पिता का…
ज़िंदगी - कविता - डॉ॰ सहाना प्रसाद
अजीब है यह ज़िंदगी बचपन गुज़र गया, जवानी बीती, बुढ़ापा आ गया पर समझ नही आया। कैसे संभाले दूसरो को, कैसे संभाले ख़ुद को, जब सोचा हो गए सय…
परिधान - कविता - बृज उमराव
सादगी पूर्ण स्वच्छ सुन्दर, परिधान प्रभावी सदा गरल। आकर्षण का केन्द्र बिन्दु, आवरण सदा तन के ऊपर।। बदन सुरक्षित मन संतृप्त, दस में अलग …
शाम उतर आई है दिल में - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
शाम उतर आई है दिल में, यादों की सुंदर महफ़िल में। कभी सताती कभी हँसाती, बातें उनकी दिल ही दिल में। शाम उतर आई है दिल में। यादों की... 2…
हौसला - कविता - नृपेंद्र शर्मा 'सागर'
सुन पथिक तू रुक ना जाना, मुश्किलों में झुक ना जाना। हो परीक्षा कुछ भी चाहे, तू ना अपना सर झुकाना। हौसलों से जीत होगी, पहले ख़ुद को आज़मा…
परम सत्य - कविता - सूर्य मणि दूबे 'सूर्य'
कल क्या होगा, शायद पता नहीं, क़िस्मत का क्या फेरा, शायद पता नहीं। आज को जी लो हँस कर, वही तुम्हारा है, कल उस पर छोड़ो जिसका ये जग सारा…
सभी बदगुमानी को दिल से निकालें - ग़ज़ल - अरशद रसूल
अरकान : फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन तक़ती : 122 122 122 122 सभी बदगुमानी को दिल से निकालें, हमें तुम संभालो, तुम्हें हम संभालें। अभी से …
अनोखा खेल विदाई का - कविता - रोहताश वर्मा 'मुसाफ़िर'
बचपन के सब खेल खिलौने... धीरे-धीरे दूर हुए! माँ के आँचल में छुप्पम-छुपाई, मिट्टी के मंदिर चकनाचूर हुए! धीरे-धीरे पढ़ना-लिखना आया, बढ़…
भारत माता की जय - गीत - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
बाग-बगीचे गाँव गलिन में भारत माता की जय। बुलबुल बोले तोता बोले मोर कोकिला डाली। खेतों में भी झूम-झूम कर यही बोलती बाली। शिशु भी वन्देम…
क्या तुमने कवि को देखा है? - कविता - राघवेंद्र सिंह
पूछ रहा है एक कवि, क्या तुमने कवि को देखा है? ऊपर से नीचे तक कैसा, क्या रवि के जैसी रेखा है? क्या है उसके हाथों में, क्या दुबला पतला द…
जीवन - कविता - अभिषेक मिश्रा
जीवन- प्रकृति द्वारा उपहार दिए गए कुछ फूल, कुछ काँटे... पंछियों की चहचहाती मंडली, कोयल की बोली... उगते हुए सूर्य से आती सतरंगी किरणे, …
अरुणिम उषा है खिली-खिली - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
पंखुड़ियों में सिमटी कलियाँ, अरुणिमा उषा है खिली-खिली। मुस्कान सुरभि यौवनागमन, मधुपर्क मधुर नव प्रीति मिली। श्री प्रभा उषा विलसित…
रघुवीर सहाय - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
नौ दिसंबर उन्नीस सौ उनतीस लखनऊ में जन्में थे रघुवीर सहाय, उन्नीस सौ इक्यावन में लखनऊ विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी में एम॰ए॰ पास किया। …
मैं धरा हूँ - कविता - सीमा वर्णिका
बाहों में सृष्टि घिरी सरित सिंधु व गिरि शेषनाग शीर्ष धरी मैं धरा हूँ। सौरमंडल का ग्रह वारि भू मय विग्रह द्वय ध्रुव हिम संग्रह मैं ध…
ज़िंदगी - कविता - डॉ॰ उदय शंकर अवस्थी
सहमी ठहरी रुकी सी ज़िंदगी नहीं वह ज़िंदगी वह तो बहती हर पल कल-कल जलधारा जलप्रपात वर्षा की फुहार गीत संगीत या कलरव पक्षी समूह का कबूतर …
शर्माता यौवन - ग़ज़ल - ममता शर्मा 'अंचल'
अरकान : फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन तक़ती : 22 22 22 22 इतराता बलखाता यौवन, सबको केवल भाता यौवन। उम्मीदों से भरी रूह को, जब तक है बहलाता…
शिक्षा के दौरान - कविता - डॉ॰ राजेश्वरी एम॰ वी॰
आँखों का तारा, नयनों का सितारा, सरिता-समुंदर पार, मेरी सन्तान, विहग, विदेश शिक्षा के दौरान। दीक्षा ली अभिभावकों से, उपदेश गुरूजनों स…
गर बेटियाँ न होगी - कविता - उमाशंकर राव 'उरेंदु'
बेटियाँ रोशनी होती है अँधेरे की जीवन की बेला की ख़ुशबू सान्त्वना की शीतल बुँदे उम्मीदों की किरणें स्पृहा का उद्गम दो कुल की कड़ी इ…
बेसबब करने लगे लोग अदावत हमसे - ग़ज़ल - एल॰ सी॰ जैदिया 'जैदि'
अरकान : फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन तक़ती : 2122 1122 1122 22 बेसबब करने लगे लोग अदावत हमसे, कल तक सिखी जिसने शराफ़त हमसे। कोई …
विशेष रचनाएँ
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