शाम उतर आई है दिल में - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला

शाम उतर आई है दिल में,
यादों की सुंदर महफ़िल में।
कभी सताती कभी हँसाती,
बातें उनकी दिल ही दिल में।
शाम उतर आई है दिल में।
यादों की... 2

गजरा पायल कंगन झुमके,
राजकुमारी सी बन ठन के,
सजधज साथ घूमती उनके,
यादों की ब्यूटीफुल हिल में।
शाम उतर आयी है दिल में,
यादों की सुंदर महफ़िल में।
कभी सताती कभी हँसाती,
बातें उनकी दिल ही दिल में।

यादें आकर गले  मिली हैं,
दिल की कलियाँ आज खिली हैं,
लव पे बातें सिली-सिली हैं,
बहुत दिनों के बाद मिली मैं,
जैसे नदी मिली साहिल में।
शाम उतर आई है दिल में,
यादों की सुंदर महफ़िल में।
कभी सताती कभी हँसाती,
बातें उनके दिल ही दिल में।

सपनों की घाटी में मिलती,
गुड़िया जैसी नचती हिलती,
कभी रूठती कभी मचलती,
कितना प्यार लुटाती उन पर
मैं साजन को दिल ही दिल में।
शाम उतर आई है दिल में,
यादों की सुंदर महफ़िल में। 
कभी सताती कभी हँसाती,
बातें उनकी दिल ही दिल मे।

सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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