आज दीवाली है आँगन दीप से भर दो - गीत - श्याम सुन्दर अग्रवाल

आज दीवाली है आँगन दीप से भर दो - गीत - श्याम सुन्दर अग्रवाल | Hindi Geet - Aaj Diwali Hai Aangan Deep Se Bhar Do - Diwali Poetry Hindi
आज साथी शुभ लगन है,
और यह मन भी मगन है,
बह रहा शीतल पवन है,
कह रहा श्यामल गगन है–
रात की काली चुनरिया झिलमिली कर दो,
आज दीवाली है आँगन दीप से भर दो।

ज्ञान के ढूँढ़े क्षितिज नव,
रूढ़ियों के कर दहन शव,
औ' जला विश्वास की लौ,
कर रही नई ऊम्र कलरव–
झाड़ दो जाले पुराने, घर नए कर दो,
आज दीवाली है आँगन दीप से भर दो।

लग रही हर शाम नई है,
पक रही अब धान नई है,
फूल की मुस्कान नई है,
औ' छिड़ी अब तान नई है–
गीत रच डालो नए, नए को नए स्वर दो,
आज दीवाली है आँगन दीप से भर दो।

धान से धरती सजाकर,
नवसुमन के वन खिलाकर,
और स्वेदाम्बुधि नहाकर,
गा रहा श्रम गुनगुनाकर–
हों अतिथि अपने उजाले, तम विदा कर दो,
आज दीवाली है आँगन दीप से भर दो।


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