सुन पथिक तू रुक ना जाना,
मुश्किलों में झुक ना जाना।
हो परीक्षा कुछ भी चाहे,
तू ना अपना सर झुकाना।
हौसलों से जीत होगी,
पहले ख़ुद को आज़माना।
बिन लड़े कोई लड़ाई,
ना क़दम पीछे हटाना।
सींचना निज स्वेद से तन,
सुन पथिक तू बढ़ते जाना।
हो डगर कितनी कठिन भी,
तू क़दम आगे बढ़ना।
जब सफ़र तुझको डराए,
हौले से तू मुस्कुराना।
मंज़िल की हर मुश्किलों से,
हँसके तू आँखे मिलाना।
निश्चित तेरी जीत होगी,
मन से ना बस हार जाना।
थकना ना तू रुकना ना तू,
जीतकर ख़ुशियाँ मनाना।।
नृपेंन्द्र शर्मा 'सागर' - मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश)