बेसबब करने लगे लोग अदावत हमसे - ग़ज़ल - एल॰ सी॰ जैदिया 'जैदि'

अरकान : फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन
तक़ती : 2122  1122  1122  22

बेसबब करने लगे लोग अदावत हमसे,
कल तक सिखी जिसने शराफ़त हमसे।

कोई ख़ास नहीं दरख़्वास्त उनसे हमारी,
वो आज मगर क्यूँ करते बग़ावत हमसे।

क़दम चार हैसियत से कम ज़रूर थे हम,
दो क़दम आगे हुऐ तो हुए आहत हमसे।

ये कैसी हो गई जलन ज़माने को दोस्तो,
आज लगी होने उनको शिकायत हमसे।

शबो-रोज़ जीते रहे, मौजो की मस्ती में,
झुके सर ऐसी न हुई कोई शरारत हमसे।

हर पल हर हाल ख़ामोश रहे सदा 'जैदि',
खुले न ज़ुबाँ रखते है लोग चाहत हमसे।

एल॰ सी॰ जैदिया 'जैदि' - बीकानेर (राजस्थान)

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