शुभ दिवस दिवाली - कविता - कर्मवीर 'बुडाना'

शुभ दिवस दिवाली - कविता - कर्मवीर 'बुडाना' | Hindi Kavita - Shubh Divas Diwali - Karmaveer Budana | दिवाली पर कविता
दीप जल उठे हैं इतने, कि यक़ीं हैं तम हटेगा अमावस का,
तू चेहरे पर ख़ुशियाँ रख, चाँद भी आएगा शुभ दिवस का।

आज वसुंधरा ने पहनी हैं सुंदर तारों जड़ी सतरंगी साड़ी,
धरती यूँ ख़ुश हैं, जैसे माली की आँखें चमके देख बाड़ी।

मेरे घर पर बने हैं चावल उजले, और लाया हूँ बालूशाही,
हर-नफ़स हम एक हैं, बैर भुलाकर खा मिठाई मनचाही।

हर एक छत पर बैठा आसमाँ संग में रँगीली आकाशगंगा,
'कर्मवीर' रख रहा तारों को दीपक में, हैं कितना भलाचंगा।


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