समय का सच - कविता - डॉ॰ रवि भूषण सिन्हा

समय तो समय है, 
समय को कहाँ कोई रोक पाता है।
समय, देखते ही देखते,
समय पर आगे बढ़ जाता है।।
दुनिया का हो कोई राजा या रंक, 
या हो दुनिया का कोई साधु-संत।
समय के वश में सबको रहना है,  
समय के चाल से सबको चलना है।।
समय वो चक्र है जो,
सूरज को समय पर उगाता है।
दिन भर लीला करवा कर,
शाम को अस्त भी करवाता है।।
समय सार्थक तब हो पाता है, 
जब काम समय पर होता है।       
जो समय को चुकता है,  
उसका काम हाथ से निकल जाता है।।
जो समय का सदुपयोग करता है,
वही लक्ष्य भी प्राप्त करता है।
जो समय की महत्ता को समझता है,
वही दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनता है।।
समय तो सर्वशक्तिशाली है, 
जीवन भी उसके अधीन रहता है।
सबको जन्म और मृत्यु के लिए भी,
समय पर पराश्रित होना पड़ता है।।
समय तो समय है,
यह एक शाश्र्वत सत्य है।
समय के अनुसार सबको,
हर हाल में चलना पड़ता है।।

डॉ॰ रवि भूषण सिन्हा - राँची (झारखंड)

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