वजह हो तो बताए मुझको मुस्कुराने की - ग़ज़ल - एल॰ सी॰ जैदिया 'जैदि'

अरकान : मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ेलुन
तक़ती : 1222  1222  1222  22

वजह हो तो बताए मुझको मुस्कुराने की,
मिलती है मोल दुकान बताए किराने की।

वक्त का पहिया चलता, अपनी ही धुन में,
व्यर्थ कोशिश न करे कोई उसे हराने की।

कभी न रही गुलाम, सियासत किसी की,
जा के देखे तो ज़रा, दशा राज घराने की।

दिल से न खेले कोई मेरे कहीं टूट न जाए,
बेवफ़ा नहीं मैं, सज़ा न दो दिल चुराने की।

मैं शरीफ़ों के बाज़ार का, ऐसा सिक्का हूँ,
चलता हूँ हर जगह करो न बात चुराने की।

मैं बेबाक सा शायर 'जैदि' क़दरदानो का,
कोई और न करे कोशिश, मुझे डराने की।

एल॰ सी॰ जैदिया 'जैदि' - बीकानेर (राजस्थान)

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