संदेश
शिक्षा के दौरान - कविता - डॉ॰ राजेश्वरी एम॰ वी॰
आँखों का तारा, नयनों का सितारा, सरिता-समुंदर पार, मेरी सन्तान, विहग, विदेश शिक्षा के दौरान। दीक्षा ली अभिभावकों से, उपदेश गुरूजनों स…
गर बेटियाँ न होगी - कविता - उमाशंकर राव 'उरेंदु'
बेटियाँ रोशनी होती है अँधेरे की जीवन की बेला की ख़ुशबू सान्त्वना की शीतल बुँदे उम्मीदों की किरणें स्पृहा का उद्गम दो कुल की कड़ी इ…
बेसबब करने लगे लोग अदावत हमसे - ग़ज़ल - एल॰ सी॰ जैदिया 'जैदि'
अरकान : फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन तक़ती : 2122 1122 1122 22 बेसबब करने लगे लोग अदावत हमसे, कल तक सिखी जिसने शराफ़त हमसे। कोई …
खिड़की के बाहर - कविता - ममता मनीष सिन्हा
खिड़की के बाहर दिखती है, एक बड़ी विस्तृत सी दुनिया! तो क्या खिड़की के बाहर अभी, है सचमुच ही एक बड़ी दुनिया? इच्छाएँ प्रतिपल जगती हैं, खुली…
भीख माँगते बच्चे - कविता - रविन्द्र कुमार वर्मा
कुछ भीख माँगते बच्चों से, मैं शर्मिंदा हो जाता हूँ, कभी देता हूँ या नहीं देता, दोनों ही दफ़ा पछताता हूँ। निर्जीव सा चेहरा होता है, सुखे…
देश प्रेम - नित छंद - महेन्द्र सिंह राज
प्रभू के दरबार में, सत्य के नित सार में। मेरा मन लगा रहे, सभी लोग सगा रहे।। सदा सत्य जीत रहा, वीर न भयभीत रहा। पी लिया दृगलोर को, रोक …
सुलगते ख़्वाब - कविता - अनूप मिश्रा 'अनुभव'
अंदाज़ मौसम का आज, फिर ख़ुशनुमा सा है। बुझी चिंगारी सुलग रही, उठ रहा फिर धुआँ सा है।। जले मकान में फिर से आग, लगे भी क्या भला। हाँ, बरस…
हर एक शख़्स ही तन्हा दिखाई देता है - ग़ज़ल - समीर द्विवेदी नितान्त
अरकान : मुफ़ाइलुन फ़यलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन तक़ती : 1212 1122 1212 22 हर एक शख़्स ही तन्हा दिखाई देता है, कभी डरा कभी सहमा दिखाई देता है…
मातृभाषा हिन्दी - कविता - अजय गुप्ता 'अजेय'
आओ संकल्प करें! मन से, हिन्दी का उत्थान करेंगे। पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण, हिन्दी के रंग में रंग देगें।। सकल विश्व में परचम फहरा, हिन्द…
मेरी निजी ज़ुबान है, हिन्दी ही दोस्तों - ग़ज़ल - शमा परवीन
अरकान : मफ़ऊलु फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन तक़ती : 221 2121 1221 212 मेरी निजी ज़ुबान है, हिन्दी ही दोस्तों, मेरे लिए महान है, हिन्दी ही दो…
ख़ुशी के आँसू - कविता - रमाकांत सोनी
ख़ुशियों के बादल मँडराए हृदय गदगद हो जाए, भावों के ज्वार उमड़े ख़ुशियों से दिल भर आए। नैनों में ख़ुशी के आँसू मोती बनकर आ जाते हैं, हर्षि…
कर्तव्य पथ - कविता - विजय कृष्ण
जब मैं अपने काम से घर लौटा, सूरज भी मेरे साथ थक कर चल पड़ा। बच्चे जैसे इंतज़ार करते हैं, छुट्टी की घंटी बजने का, प्रकृति भी इसी अवसर की…
तितली - बाल कविता - डॉ॰ राजेश पुरोहित
काली पीली नीली गुलाबी तितली रानी आओ न। नहीं पराग बचा फूलों में अब तो पास आओ न।। जब भी तुम आती हो मन भी ख़ुश कर देती हो। कली कब फूल बन ज…
उड़ जा पंख पसार रे - कविता - आर्यपुत्र आर्यन जी महाराज
ओ सोच रहा क्या बैठा परिन्दे उड़ जा पंख पसार रे, बन सकता जब विश्व विजेता क्यों? बैठा मन मार रे। जोशीले पौरुष को हरा दे सिंकदर की औक़ात नह…
सफ़र - कविता - दीपक राही
यह सफ़र है तुम्हारा, लड़-खडाते हुए क़दमों से चल सको तो चलो। सफ़र में धूप तो होगी, फिर भी चल सको तो चलो। सभी हैं भीड़ में तुम भी, निकल स…
मंज़िल पुकार रही है - कविता - आशीष कुमार
बना दो क़दम के निशान, कि मंज़िल पुकार रही है। थाम लो हाथों में हाथ, कि वक़्त की पुकार यही है। बनकर मुसाफ़िर चलते जाना, मंज़िल से पहले रुक न…
राम परिभाषा : भारत परिभाषित - कविता - डॉ॰ गीता नारायण
हे राम! यह देश सदा तुमसे परिभाषित। कोई लाख चाहे कि तुम रहो निर्वासित। फिर भी यह देश तुम से परिभाषित। ऐसा है व्यक्तित्व तुम्हारा ऐसा च…
कौमी एकता - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
आपस मे अब युद्ध न करना, ऐ! भारत माता के लालों। बैरी देश हँसेंगे तुम पर, वो सोचेंगे लाभ उठा लो। आपस के मतभेद मिटा दो, मुठ्ठी सा बंध जाओ…
बड़ी उम्मीद रख फ़रियाद करते - ग़ज़ल - नागेन्द्र नाथ गुप्ता
अरकान : मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन तक़ती : 1222 1222 122 बड़ी उम्मीद रख फ़रियाद करते, समय अपना यूँ ही बर्बाद करते। तेरे दीदार से होती सु…
ज्ञान की ज्योत - कविता - आदेश आर्य 'बसंत'
विजित हो रहा हूँ मैं ख़ुद, उस कायरता से जो अंदर थी। बाहर तो बस चंचलता थी, अंदर विचारों की आँधी थी। दिखलाना था ख़ुद का चेहरा ख़ुद को, दर्प…
मुक्तिबोध - कविता - रेखा श्रीवास्तव
बन्द आँखें, मद्धम साँसें, दम तोड़ती उसकी आहें, वो डूबी कुछ विचारों में, वो खोई दिल के तूफ़ानों में। वो तो बस देख रही थी, होकर बोझिल …
समय का सच - कविता - डॉ॰ रवि भूषण सिन्हा
समय तो समय है, समय को कहाँ कोई रोक पाता है। समय, देखते ही देखते, समय पर आगे बढ़ जाता है।। दुनिया का हो कोई राजा या रंक, या हो दुनिया…
अभिनंदन मेहमान का - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
मातु पिता जयगान हो, जय गुरु जय मेहमान। भक्ति प्रेम जन गण वतन, ईश्वर दो वरदान।। अभिनंदन मेहमान का, हो स्वागत सम्मान। मधुर भाष मुख हास …
झलकारी बाई - कविता - रमाकान्त चौधरी
वो झाँसी की सैनानी। जिसने हार कभी न मानी। निडर और साहसी नारी। नाम था उसका झलकारी। पल में धूल चटाई उसको, जिसने समझा उसे अनाड़ी। बा…
जो भी सीने में छुपा रक्खा है - ग़ज़ल - अबरार अहमद
अरकान : फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन तक़ती : 2122 1122 22 जो भी सीने में छुपा रक्खा है, सब इस दिल को बता रक्खा है। हमको मालूम था तुम आओगे…
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