बड़ी उम्मीद रख फ़रियाद करते - ग़ज़ल - नागेन्द्र नाथ गुप्ता

अरकान : मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन
तक़ती : 1222  1222  122

बड़ी उम्मीद रख फ़रियाद करते,
समय अपना यूँ ही बर्बाद करते।

तेरे दीदार से होती सुबह थी,
उसी से ज़िंदगी आबाद करते।

इजाज़त आपको इतनी नहीं थी,
परिंदें क़ैद से आज़ाद करते।

भरोसा करने के लायक तुम्हीं थे,
कहाॅ॑ हम दूसरा उस्ताद करते।

तेरी नाराज़गी जायज़ बहुत है,
ग़लत लोगों को हम इरशाद करते।

नागेंद्र नाथ गुप्ता - मुंबई (महाराष्ट्र)

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