शमा परवीन - बहराइच (उत्तर प्रदेश)
मेरी निजी ज़ुबान है, हिन्दी ही दोस्तों - ग़ज़ल - शमा परवीन
शुक्रवार, नवंबर 26, 2021
अरकान : मफ़ऊलु फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
तक़ती : 221 2121 1221 212
मेरी निजी ज़ुबान है, हिन्दी ही दोस्तों,
मेरे लिए महान है, हिन्दी ही दोस्तों।
जो भी लिखूँ वही पढूँ, देखो तो ख़ासियत,
हम सबकी आन-बान है, हिन्दी ही दोस्तों।
अपनो के द्वारा नित्य, प्रताड़ित करी गई,
अब भी लहू-लुहान है, हिन्दी ही दोस्तों।
हिन्दी बिना लगती है, अधूरी सी ज़िन्दगी,
'शमा' के लिए जान है, हिन्दी ही दोस्तों।
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