तितली - बाल कविता - डॉ॰ राजेश पुरोहित

काली पीली नीली गुलाबी तितली रानी आओ न।
नहीं पराग बचा फूलों में अब तो पास आओ न।।

जब भी तुम आती हो मन भी ख़ुश कर देती हो।
कली कब फूल बन जाए राज़ कभी न कहती हो।।

कितनी मेहनत कर तुम रस पी कर पेट भरती हो।
पल-पल में उड़-उड़ कर तुम कितना सुकून देती हो।।

बाग-बगीचों की शान हो तुम सारी दुनिया कहती है।
अपने रंगों से तुम कितनी प्यारी लगती हो।।

डॉ॰ राजेश पुरोहित - भवानीमंडी, झालावाड़ (राजस्थान)

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